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- श्रीलंका के सबक

प्रतीकात्मक तस्वीर
जनता से रिश्ता : अब श्रीलंका की जनता दो साहूकारों के बीच में फंस गई है। एक तरफ चीन, जो कर्ज चुकाने को उसका हाथ मरोड़ रहा है और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, जो आर्थिक नीतियों को बदलने व अधिकाधिक आर्थिक लाभ व सुविधाएं लेने के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है।भारत के पड़ोसी देशों में गहरी उथल-पुथल का दौर चल रहा है। वैसे तो श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, बांगलादेश, मालदीव और अफगानिस्तान सभी कम या ज्यादा आंतरिक हलचल के शिकार हैं, लेकिन पिछले दिनों श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के खिलाफ जो जन विद्रोह देखने को मिला, वह बेहद आक्रामक था। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को त्रिंकोमाली के नौसैनिक अड्डे में शरण लेने के मजबूर होना पड़ गया था। जिस राजपक्षे खानदान का वर्षों से सत्ता पर एकाधिकार चला आ रहा था, उस कुनबे के सारे लोग अब हटा दिए गए हैं, सिवाय राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के।
सोर्स-जनसत्ता
राइटर-रघु thakur
