सम्पादकीय

मानवता और योग

Admin2
22 Jun 2022 7:56 AM GMT
मानवता और योग
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जनता से रिश्ता : योग भारत की प्राचीन विद्या है। इसे अध्यात्म तक पहुंचने का प्राथमिक सोपान माना जाता रहा है। इसलिए पिछली सदी तक योग की पहुंच आम जन तक नहीं थी। इसकी साधना अध्यात्म से जुड़े लोग ही किया करते थे। हालांकि भारत से योग विद्या सीख कर अन्य देशों के लोगों ने भी अपने यहां इसका विकास किया। कई भारतीय योग गुरुओं ने विदेशों में जाकर इस विद्या का प्रचार-प्रसार किया। पर भारत में जन-जन तक योग की पहुंच कुछ सालों पहले ही बन पाई। इसमें भारत सरकार की पहल भी काफी महत्त्वपूर्ण रही।

भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा और उसे मान लिया गया। उसके बाद से योग की प्रतिष्ठा बहुत तेजी से बढ़ी है। इस बार आठवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। हर साल योग शिविरों की संख्या बढ़ रही है। यह लोगों में योग के प्रति बढ़ते विश्वास का ही नतीजा है। कई राज्य सरकारें भी अपने यहां मुफ्त योग शिक्षक उपलब्ध कराने लगी हैं, जो मुहल्लों के पार्कों आदि में योग का प्रशिक्षण देते और योग कराते हैं। जबसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा है, न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में योग शिविरों का आयोजन लगातार बढ़ता जा रहा है।
दरअसल, अब यह स्थापित हो चुका है कि योग केवल अध्यात्म का माध्यम नहीं, स्वस्थ रहने के लिए भी एक जरूरी माध्यम है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी स्वीकार कर लिया है कि योग से अनेक रोगों का इलाज किया जा सकता है। बहुत सारे अस्पतालों में अब योग पद्धति से चिकित्सा के विभाग खोले गए हैं। अब तो बहुत सारे डाक्टर भी दवा के साथ-साथ योगाभ्यास का सुझाव लिखते हैं। हालांकि इसका अलग से अध्ययन नहीं है कि योग के माध्यम से कितने लोगों के रोग दूर हुए, पर आम अनुभव इसके गवाह हैं कि नियमित योग से बड़े पैमाने पर लोगों की हृदय, यकृत, हड््डी, पाचन, रक्त शर्करा आदि संबंधी समस्याएं काफी हद तक ठीक हुई हैं।
इस तरह योग हमारे ही नहीं, कई देशों के सार्वजनिक चिकित्सा संबंधी खर्चों में कमी लाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इसके अलावा चूंकि सरकारें सार्वजनिक योग शिक्षक नियुक्त करने लगी हैं, स्कूलों आदि में भी योग शिक्षकों की भर्ती होने लगी है। जगह-जगह योग चिकित्सा के केंद्र खुल रहे हैं, लोगों का योग केंद्रों पर सलाह लेने के लिए उसी तरह भीड़ जुटने लगी है, जैसे अस्पतालों में उमड़ती है, इसलिए यह विद्या अब बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर भी उपलब्ध करा रही है।
आधुनिक समय में लोगों के जीवन में अनेक जटिलताएं पैदा हुई हैं। हर साल स्वास्थ्य संबंधी अध्ययनों में दर्ज होता है कि दुनिया में लाखों लोग मानसिक रोगों के शिकार हो रहे हैं। जीवन शैली संबंधी बीमारियां बहुत तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। इन बीमारियों के इलाज में अंग्रेजी पद्धति की चिकित्सा कारगर साबित नहीं हो रही। तमाम चिकित्सा विज्ञानी योग की मदद लेने का सुझाव देते देखे जा रहे हैं। ऐसे में अगर भारत ने पूरी दुनिया में लोगों को योग के प्रति जागरूक करने का संकल्प लिया है और उसमें कामयाब हो रहा है, तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। योग को और कारगर बनाने, इसकी पहुंच सुगम बनाने के लिए और क्या उपाय हो सकते हैं, इस पर विचार होना चाहिए। मानवता के विकास के लिए योग का प्रसार अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

सोर्स- jansatta

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