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- घटे हैं रोजगार
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : आखिरकार बढ़ती बेरोजगारी की हकीकत को लेकर वह जागी और एलान किया कि केंद्र सरकार के खाली पड़े पदों पर दस लाख लोगों की भर्ती की जाएगी। कुछ को छोड़ दें तो नौकरियों की 'कमी' से हर परिवार प्रभावित है। इसमें उन्हें भी शामिल कर लें, जिनका रोजगार 'चला' गया। खासतौर से महामारी वाले साल (2020-21) और सुधार के लिहाज से बेपरवाह वर्ष (2021-22) के बाद भारत ने जिस सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती का सामना किया है, वह बेरोजगारी है।वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने यह शानदार वादा किया था कि वे 'हर साल' दो करोड़ रोजगार पैदा करेंगे। इसे लेकर संदेह थे, लेकिन ऐसी आवाजें 'भक्तों' के शोरशराबे में दब गई थीं। 'भक्त' ऐसे हर वादे पर आंख मूद कर विश्वास कर रहे थे, जिसमें 'बाहर से कालाधन वापस लाया जाएगा' और 'हर भारतीय के खाते में पंद्रह लाख रुपए जमा किए जाएंगे' जैसे दिमाग को चकरा देने वाले वादे भी शामिल थे। मुझे लगता नहीं कि किसी ने भी इसका हिसाब लगाया होगा।