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- जल धाराओं के प्रति...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :जिस राज्य में बड़ी आबादी के जीवकोपार्जन का जरिया खेती या जंगल हो, वहां नदियों का लुप्त होना असल में मानव-सभ्यता की अविरल धारा में व्यवधान की तरह है। जल धाराओं के प्रति समाज की बेपरवाही की बानगी है, झारखंड की राजधानी रांची की कभी जीवन-रेखा कही जाने वाली हरमू नदी। यह सुवर्णरेखा नदी की बहुत छोटी सहायक नदी है। जलवायु परिवर्तन की मार से झारखंड भी अछूता नहीं है और यहां अनियमित और कम बरसात दर्ज की जा रही है।इसका सीधा असर हरमू के अस्तित्व पर पड़ा। अब महज चार महीने इसमें जल रहता है, शेष दिनों में नगर का गंदा निस्तार ही इसमें तैरता है। जाहिर है, कुछ दशकों में इसे एक नाला घोषित कर दिया जाएगा। अगर हरमू नदी के उद्गम स्थान को देखा जाए, तो वहां पत्थरों का भी कटाव हो गया है। इसके चलते इस नदी पर खतरा मंडरा रहा है। राज्य विभाजन से पहले झारखंड में छोटी-बड़ी करीब 141 सदानीरा नदियां थीं।