सम्पादकीय

संक्रमण से सावधान

Admin2
15 Jun 2022 6:53 AM GMT
संक्रमण से सावधान
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : देश में एक बार फिर कोरोना मामलों का बढ़ना न केवल चिंताजनक, बल्कि दुखद भी है। कोरोना का डर जब कम हो गया है, तब संक्रमण के नए आंकड़े तनाव बढ़ाने लगे हैं। छह दिन पहले जहां प्रतिदिन 4,000 से भी कम मामले सामने आ रहे थे, वहीं अब रोज संख्या 8,000 के पार पहुंचने लगी है। उत्तर प्रदेश की बात करें, तो लगभग रोज ही संक्रमण के 200 से ज्यादा मामले आने लगे हैं। रविवार को उत्तर प्रदेश में 258 नए मामले दर्ज किए हैं। राज्य में एक दिन में 86 हजार से ज्यादा लोगों का कोरोना जांच के लिए आना भी एक तरह से शोचनीय है। लखनऊ की बात करें, तो रविवार को वहां कुल 274 सक्रिय मामले थे और नौ लोग अस्पताल में भर्ती थे। बाकी लोग घर में ही उपचार लाभ ले रहे थे। नोएडा, गाजियाबाद में भी संक्रमण बढ़ रहा है। विशेषज्ञ बार-बार कहते रहे हैं कि कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। यह हर 4-6 महीने में एक बार सिर उठाती है। डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार, सभी देशों के लिए जरूरी है कि वे अपने नागरिकों को वैक्सीन की बूस्टर डोज दिलवाएं। खास तौर पर ज्यादा उम्र वाले लोगों को तीसरी खुराक लगनी बहुत जरूरी है। बूस्टर खुराक पर जोर देते हुए आईसीएमआर के पूर्व प्रमुख बताते हैं कि जिन लोगों में संक्रमण की आशंका ज्यादा है, उनके लिए बूस्टर खुराक बहुत ही जरूरी है।

क्या अब हर चार-छह महीने पर कोरोना की एक लहर आती है या आएगी? इसी साल जनवरी-फरवरी में तीसरी लहर आई थी, उसके पहले विगत वर्ष अप्रैल-मई में दूसरी लहर। अभी चौथी लहर की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन शायद हम उस स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। दर्ज किए गए सक्रिय मामलों की संख्या 50,000 के करीब पहुंचने लगी है। हालांकि, अनुभव यही है कि भारत में लोग जांच कराने के मामले में आलसी हैं। जो लोग जागरूक हैं, वही जांच के लिए आगे आते हैं। विशेषज्ञ भी यह मानते हैं कि सक्रिय मामले वास्तव में दर्ज मामलों से कहीं ज्यादा होंगे। जून महीने के शुरू में ही संक्रमण बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ है। तेज संक्रमण के लिए दो नए वेरिएंट को जिम्मेदार बताया जा रहा है। बीए4 और बीए5 वेरिएंट पर निगाह रखी जा रही है। हालांकि, कुल मिलाकर इसे खतरनाक नहीं माना जा रहा है, लेकिन कोरोना संक्रमण से जो तनाव होता है, जो परेशानी होती है, उससे भला कौन इनकार करेगा? किसी भी तरह के संक्रमण को गंभीरता से लेने की हिदायत डॉक्टर देते आए हैं।
इसमें तो कोई दोराय नहीं कि जब-जब लोगों ने सावधानी बरतने में ढिलाई बरती है, तब-तब संक्रमण का शिकंजा कसा है। हमारी इस कमी या असावधानी को हर जगह महसूस किया जा सकता है। भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रमों की भी वापसी हो गई है, बाजारों में भी खूब भीड़ उमड़ रही है, पर्यटन स्थलों पर भी लोगों का हुजूम लापरवाह घूम रहा है। मई महीने में ही कुछ राज्यों में मास्क को जरूरी बनाया गया था, लेकिन यह निर्देश ज्यादातर कागजों पर ही रह गया है। ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ही कोरोना मामले सामने आ रहे हैं। दुनिया में अभी 1.83 करोड़ से ज्यादा सक्रिय मामले हैं। अभी भी दुनिया में प्रतिदिन छह लाख से ज्यादा मामले आ रहे हैं। रोज 1,300 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। अत: लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। ध्यान रहे, भारत में सावधानी के दम पर ही संक्रमण को घटाया गया था, फिर कोताही की गलती हम नहीं कर सकते।

सोर्स-livehindustan

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