नई दिल्ली। आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी, पिता का कर्ज बेटे को भरना पड़ता है लेकिन ट्रैफिक नियम में ये ठीक उल्टा है। इसमें अगर पिता ने अपने नाबालिग बच्चों को मोटरसाइकिल चलाने के लिए देता है तो उसका हर्जाना खुद पिता को भरना पड़ेता। बच्चे को मोटरसाइकिल चलाने के लिए देने पर पिता को जेल भी हो सकती है। आइये जानते हैं इससे जुड़े ट्रैफिक नियमों के बारे में।
नाबालिगों को क्यों मना है वाहन चलाना?
नाबालिग बच्चे इलेक्ट्रिक व्हीकल चला सकते हैं, लेकिन उसकी टॉप स्पीड 25 किमी से अधिक न हो। अगर 50 सीसी इंजन वाली कोई मोटरसाइकिल है तो 16-18 वर्ष तक के बच्चे चला सकते हैं। हालांकि, अधिकतर लोगों के घर 100 सीसी से अधिक इंजन वाली बाइक होती है और जो नाबालिग बाइक चलाते हुए पकड़े जाते हैं।
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25 की टॉप स्पीड वाली इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को कोई भी चला सकता है, क्योंकि इसके लिए न तो कोई रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ती है न ही कोई इसको चलाने के लिए किसी के भी लाइसेंस की। इसको पूरे भारत में नाबालि बच्चे बेझिझक चला सकते हैं। हालांकि, 16-18 वर्ष के बच्चों के लिए ये बेस्ट साबित हो सकती है।
दरअसल, अगर कोई नाबालिक कार या बाइक चलाते हुए पकड़ा जाता है तो उसके पिता को चालान भरना पड़ेगा, इसके अलावा 3 साल तक के जेल जाने के भी प्रावधान है। मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार, यदि आपका बच्चा 18 वर्ष से कम आयु का है और बिना किसी लर्नर लाइसेंस के मोटर वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उस स्थिति में, आपको मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 199A के तहत दंडित किया जाएगा।