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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत विविधता का देश है. यहां कई धर्म, जाति, समुदाय रहते हैं जिनकी अपनी मान्यताएं, प्रथाएं हैं और वो उसका सालों से पालन करते आ रहे हैं. लगभग हर राज्य के लोग अपने हिसाब से कुछ त्योहार मनाते हैं और दूसरों को कई बार ये मान्यताएं अजीबोगरीब लग सकती हैं. ऐसी ही एक मान्यता दक्षिण भारत के कर्नाटक में मनाई जाती है जिसमें लोग जूठे खाने (People roll over left over food weird ritual) पर लेटते हैं.
कर्नाटक (Karnataka weird tradition) में माडे-माडे स्नान (Made Made Snana) एक त्योहार के तौर पर मनाया जाता है मगर इससे जुड़ी एक प्रथा बेहद विचित्र है. ये प्रथा पूरे राज्य में ना मनाकर राज्य के दक्षिण कन्नड़ जिलों और उडुपी जिले के मंदिरों में खासकर मनाने का रिवाज है. इस प्रथा को लेकर कई बार लोगों ने आपत्ति जताई है और इसकी अक्सर आलोचना सुनाई पड़ती है. लोगों का कहना है कि ये प्रथा जातिवाद फैलाती (tradition spread casteism) है और निचली जाति के लोगों को प्रताड़ित करती है.
कैसे मनाया जाता है त्योहार
त्योहार मनाने के लिए लोग कुक्के सुब्रमण्या मंदिर (Kukke Subramanya Temple) में जुटते हैं. जो लोग इस मंदिर में त्योहार मनाने आते हैं वो खुद को बहुत ज्यादा भाग्यशाली महसूस करते हैं. मंदिर में खास तरह का पकवान बनाया जाता है जिसका श्रद्धालु इंतजार करते हैं. भोजन तैयार होने के बाद सबसे पहले त्योहार के लिए मंदिर में आए ब्राह्मणों को केले के पत्ते पर खाना खिलाया जाता है. वो इसमें से कुछ भोजन छोड़ देते हैं. इसके बाद निचली जाति के लोग जमीन पर रखे केले के पत्तों पर पड़े जूठे भोजन पर लेटते हुए गोल-गोल घूमकर आगे बढ़ते हैं. एक के बाद एक इस क्रिया को निचली जाति के श्रद्धालु करते हैं और फिर उसके बाद शरीर की सफाई करने के लिए कुमारधरा नदी में डुबकी लगाते हैं.
क्यों की जाती है ये प्रथा?
जो श्रद्धालु इस 500 साल पुरानी प्रथा को मनाने आते हैं उनका मानना है कि इस तरह वो हर रोग से मुक्त हो सकते हैं. साथ ही ब्राह्मण के जूठे खाने पर लेटने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यही नहीं, ये भी माना जाता है कि जूठे खाने पर लेटने से पिछले जन्म के बुरे कर्म भी कट जाते हैं. कई लोगों ने मानवाअधिकार का भी उल्लंघन इस प्रथा को बताया है.
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