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आज तक आपने लोगों के चेहरे पर पड़े डिंपल्स के बारे में पढ़ा होगा.ये वैसे तो लोगों के चेहरे और उसकी मुस्कान को आकर्षक बनाते हैं. लेकिन अगर मेडिकल टर्म्स में जाएं तो ये एक तरह की बीमारी है. हालांकि, आज हम चेहरे के डिंपल नहीं, बल्कि गोल्फ बॉल्स (Golf Balls) पर मौजूद डिंपल्स के बारे में बात करने जा रहे हैं. गोल्फ बॉल्स को अगर आप देखें, तो इनमें कई छोटे-छोटे गड्ढे होते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इनमें से गड्ढे क्यों होते हैं? ऐसा नहीं है कि गलती से इन बॉल्स में ऐसे डिंपल्स (Dimples In Golf Balls) बन गए हैं. इसके पीछे ख़ास वजह है, जो काफी हेल्पफुल है.
अगर गोल्फ बॉल के इतिहास को देखें, तो सदियों पहले ये चिकने हुआ करते थे. इसकी वजह थी कि ये आसानी से सरकते हुए एक से दूसरे जगह चले जाएं. इससे गोल्फ खेलने में आसानी होती फिर पता चला कि ये लॉजिक गलत था. जी हां, बॉल के चिकना होने से इसका सरकने से कोई लेना-देना नहीं था. 1900 के दौर में गोल्फ काफी पसंद किया जाता था. उसी समय इसके डिजाइन में बदलाव किया गया, जिसे अभी तक माना जाता है. ये था बॉल में छोटे-छोटे गड्ढे करना. इन गड्ढों की वजह से गोल्फ में क्रांति आ गई.
इंजीनियर के दिमाग की थी उपज
गोल्फ बॉल में गड्ढे बनाने का आइडिया सबसे पहले एक इंजीनियर के दिमाग में आया था. उसने देखा कि चिकने बॉल में भी जो पुराने हो जाते हैं, वो ज्यादा दूर तक जाते हैं. इसके पीछे वजह समझ आई कि पुराने गेंदों में गड्ढे हो जाते हैं. इससे वो ज्यादा दूर जा पाते हैं. इसी की वजह से ब्रिटिश इंजीनियर विलियम टेलर ने ऐसे गोल्फ बॉल्स बनाना शुरू किया, जिसमें डिंपल होते हैं. ये बॉल्स तुरंत ही गोल्फर्स की पहली पसंद बन गए. लोग इसे काफी खरीदने लगे.
आने लगे कई तरह के डिजाइन
एक बारे गोल्फ बॉल्स में गड्ढे बनने लगे, उसके बाद तो इसके कई डिजाइन सामने आए. अलग-अलग पैटर्न के गोल्फ बॉल्स आने लगे. इससे बॉल ज्यादा दुरी तक सरकने लगे. आज के समय में बनने वाले ज्यादातर गोल्फ बॉल्स में करीब तीन से पांच सौ गड्ढे होते हैं. वहीं किसी-किसी बॉल में एक हजार गड्ढे भी होते हैं. जिस बॉल के नाम सबसे ज्यादा गड्ढों का रिकॉर्ड है, उसमें एक हजार सत्तर डिंपल हैं.
Gulabi Jagat
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