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पाकिस्तान में लड़कियों के साइकल चलाने को आज भी मानते हैं बुरा , जानें क्यों ?

Ritisha Jaiswal
25 July 2022 10:03 AM GMT
पाकिस्तान में लड़कियों के साइकल चलाने को आज भी मानते हैं बुरा , जानें क्यों ?
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भारत में अगर आज आप घर से निकल जाएं तो बहुत से लड़के-लड़कियों को साइकल चलाते हुए देखेंगे.

भारत में अगर आज आप घर से निकल जाएं तो बहुत से लड़के-लड़कियों को साइकल चलाते हुए देखेंगे. कई युवतियां साइकल से ही स्कूल जाते भी नजर आ जाएंगी. मगर हमारे पड़ोसी मुल्क में आज भी लोगों की सोच 19वीं सदी की बनी हुई है. आधुनिक युग में भी उन्हें औरतों का साइकल चलाना पसंद नहीं है. इस बात से एक पाकिस्तानी महिला (cycling considered bad for women in Pakistan) इतनी परेशान हो गई कि अपने देश के लोगों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए उसने 30 साल की उम्र में साइकल (Pakistani woman learnt cycling at 30) चलाना सीखा और अब बाइक भी चला रही है.

मेट्रो न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए रहमा खान (Rahma Khan) नाम की एक पाकिस्तानी महिला ने अपने ही देश से जुड़ी हैरान करने वाली बात बताई. उसने बताया कि पाकिस्तान में आज भी महिलाओं के साइकल (Cycling for women in Pakistan) चलाने को बुरा माना जाता है. मोटरसाइकल तो दूर की ही बात है. औरतों के खिलाफ रूढ़िवादिता सोच आज भी पाकिस्तान में पनप रही है जिसका खुलासा रहमा ने खुलकर किया है. उन्होंने बताया कि वैसे तो पाकिस्तान में औरतों के साइकल (Pakistani woman cycling experience) चलाने को आज भी बुरा माना जाता है मगर कोई लड़की अगर चला भी ले तो उससे छेड़खानी होने लगती है या फिर मजाक बनाया जाता है.
पाकिस्तान में महिलाओं का साइकल चलाना माना जाता है बुरा
उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए बताया कि पाकिस्तान में आज 48.7 फीसदी महिलाओं में से सिर्फ 25 फीसदी ऐसी हैं जो काम करती हैं. यहां पर मर्द औरतों को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते. उनके परिवार में भी लोगों की ऐसी ही सोच थी मगर साल 2018 में जब वो 26 साल की हो गईं और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पाकिस्तान के करांची में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए एक रैली निकाली तो रहमा की सोच पूरी तरह बदल गई. उन्होंने कहा कि रैली में महिलाएं अलग-अलग तरह के अधिकारों की मांग कर रही थीं मगर उन्हीं में से एक महिला औरतों के साइकल चलाने को नॉर्मल करने की डिमांड कर रही थी. तब रहमा को ख्याल आया कि ये कितनी छोटी सी मांग है मगर वहां के औरतों के लिए कितनी बड़ी है.
पुरानी मानसिकता खत्म करने के लिए साइकल चलाना सीखा
उन्होंने तब से ही साइकल चलाने की प्रैक्टिस शुरू कर दी. लोगों की नजरों से बचने के लिए वो सुबह जल्दी उठ जाया करती थीं और खाली गलियों में प्रैक्टिस किया करती थीं. हालांकि, उस दौरान भी लोग उनको घूरते थे और कई बार गिर जाने पर उनको ताने भी मारने लगते थे. कुछ ही दिनों में वो बिना गिरे साइकल चलाना सीख गईं जिससे उन्हें खुद के अंदर शक्ति मेहसूस हुई. इसके बाद उन्होंने मोटरसाइकल सीखने का चैलेंज लिया और एक दोस्त की बाइक चलाने लगीं. कुछ ही महीनों में वो भीड़भाड़ में भी साइकल चलाने लगी जिसके देखकर लोग दंग होने लगे थे. उन्होंने अपनी बहनों को भी मोटिवेट किया है कि वो भी साइकल चलाना सीखें. पिछले साल 2021 में रहमा कनाडा में काम की वजह से शिफ्ट हो गईं. वहां जाकर उन्हें समझ आया कि सिर्फ उनके ही देश में लोगों के अंदर ये विचारधारा है कि औरतें कई काम नहीं कर सकतीं क्योंकि कनाडा जैसी जगहों पर औरतों बिना किसी रोकटोक के साइकल और मोटरसाइकल चलाती हैं और उन्हें कोई नहीं घूरता या उनका मजाक बनाता है.


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