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बाइक या स्कूटर का उपयोग करोड़ों लोग करते हैं। कई बार अपनी तो अपने टू व्हीलर को धूप में खड़ा करना पड़ता है। हालांकि पुराने लोग कहते हैं कि यदि आप किसी टू व्हीलर को धूप में खड़ा कर देते हैं। तो उसका पेट्रोल वशीकरण के माध्यम से हो जाता है। हालांकि सवाल यह है कि यह सच में ऐसा होता है तो चलिए आज हम आपको इस बात के बारे में बताते हैं।
इस सवाल का जवाब श्री पराग त्रिपाठी मेकेनिकल ने दिया है त्रिपाठी जी बताते हैं कि पुराने लोग सही कहते थे बाइक का पेट्रोल टैंक बाहर की तरफ होता है इसलिए उसको सबसे ज्यादा नुकसान होता है। लेकिन कार के साथ ऐसा नहीं होता। 1970 के आसपास एक ऐसी टेक्नोलॉजी आई थी जिसके चलते कार्य पेट्रोल टैंक से पेट्रोल का वाष्पीकरण नहीं होता था। इस तकनीक में पेट्रोल के भाव बनकर उड़ने के रास्ते में एक कंपोनेंट लगाया जाता है। जिसका नाम है कार्बन कलेक्ट्रेट के प्लास्टिक से निर्मित होता है। उसमें एक्टिवेटिड कार्बन भरा होता है।जो भी ईंधन की वाष्प होती है उसे यह कार्बन इकठ्ठा कर लेता है। जब गाड़ी आइडलिंग में आती है तो वैक्यूम से यह वाष्प इंजन के सिलिंडर में पहुँच जाती है।
लेकिन इससे भी आगे की तकनीक में एक वाल्व होता है जिसे पर्ज कंट्रोल वाल्व कहते हैं। यह इंजन के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट से कंट्रोल होता है। इससे होता है यह है कि जब ज्यादा इंजन की आवश्यकता होती है तो फेस बॉल को कार्बन का डिस्टेंस में से ईंधन की जाता है इसमें फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ जाती है। इस तरह यह सिस्टम पेट्रोल का नुकसान होने से बचाता है।
बाइक चलाने वालों के लिए गुड न्यूज़ यह है कि इन दिनों जो बाइक और स्कूटर आ रहे हैं उनमें भी इसी तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। यानी निश्चिंत रहिए, बिंदास अपनी बाइक को कहीं भी पार्क कर दीजिए। यदि वह धूप में है तब भी उसके पेट्रोल का वाष्पीकरण नहीं होगा। पहले जो 5% का नुकसान होता था, अब वह भी नहीं होगा।
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