जरा हटके
नेशनल पार्क में मरे मिले 100 गिद्ध, जानें कैसे हुई मौत
Ritisha Jaiswal
16 Aug 2022 12:24 PM GMT
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दुनिया में ऐसे कई जीव हैं, जिनकी गिनती अब विलुप्त होते जानवरों में होने लगी है. इनके तेजी से घटते संख्या का कारण कोई एक ख़ास वजह बनती है
दुनिया में ऐसे कई जीव हैं, जिनकी गिनती अब विलुप्त होते जानवरों में होने लगी है. इनके तेजी से घटते संख्या का कारण कोई एक ख़ास वजह बनती है. कई दवाइयों में कुछ जानवरों की बॉडी के पार्ट्स की जरूरत होती है. इस वजह से इनका शिकार किया जाता है. इंसानों के ऐसे ही लालच की भेंट चढ़ गए अफ्रीका के क्रुगर नेशनल पार्क (Kruger National Park) के करीब सौ गिद्ध. इन गिद्धों की मौत इंसान के लालच की वजह से हो गई.
इंसान की लालच की हद ही है कि आज के समय में कई जानवर विलुप्त हो चुके हैं. प्रकृति में इंसान की जरुरत भर संसाधन हैं लेकिन लालच पूरी करने भर नहीं हैं. साउथ अफ्रीका के क्रुगर नेशनल पार्क में अचानक ही सौ गिद्धों से सनसनी मच गई. किसी को समझ नहीं आया कि आखिर ऐसा कैसे हो गया? इसके बाद जब इनकी बॉडी की जांच की गई, तब कि सबने एक ही तरह का जहर खाया था. अब बड़ा सवाल था कि इतने सारे गिद्धों को जहर कैसे दिया गया.
भैंसे से हुआ शिकार
मामले के सामने आने पर इसकी जांच के लिए कमिटी का गठन हुआ. इसमें हैरान करने सामने आई. दरअसल,कुछ डॉक्टर्स को दवाइयां बनाने के लिए गिद्ध के बॉडी ऑर्गन्स चाहिए थे. अब वो गिद्ध का शिकार कैसे करते? अपनी इस जरुरत के लिए उन्होंने एक भैंसे का सहारा लिया. डॉक्टर्स ने जहर से भैंसे को पहले मारा. इसके बाद उसकी बॉडी जंगल में सड़ने लगी. बदबू से आकर्षित होकर कई गिद्ध वहां आ गए और उन्होंने मांस खाना शुरू कर दिया.
100 vultures killed
अन्य जानवर भी बने शिकार
पार्क के एक्टिंग चीफ इंस्पेक्टर ने बताया कि जानवरों का ऐसा शिकार करना नया नहीं है. लोग दूसरे जानवरों की सहायता से ऐसे ही शिकार कर लेते हैं. इस मामले में ना सिर्फ सौ गिद्ध मरे, बल्कि भैंसे का मांस खाने से एक हाइना और कुछ अन्य जानवरों की मौत की भी खबर है. अब उनकी बॉडी को खाने से दूसरे भी जानवर मर सकते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, अब इस एरिया में सिर्फ बीस गिद्ध ही जिंदा बचे हैं. इतनी संख्या में गिद्धों सबमे खौफ का माहौल है. अभी तक उस जहर का नाम का सामने नहीं आया है, जिसकी वजह से गिद्धों की मौत हुई है. दुनिया में गिद्धों की संख्या सिर्फ दो लाख 70 हजार रह गई है. इसमें से हर साल 800 की मौत दवाइयों के लिए हो जाती है
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