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आज सच बोलने की आजादी पर खतरा, मीडिया स्वतंत्रता के मामले में भारत 150वें स्थान पर : खड़गे

Rani Sahu
14 March 2023 6:57 PM GMT
आज सच बोलने की आजादी पर खतरा, मीडिया स्वतंत्रता के मामले में भारत 150वें स्थान पर : खड़गे
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि जिस देश के संविधान ने मीडिया को इतनी आजादी दी है, वह देश आज मीडिया की स्वतंत्रता के मामले में दुनिया के 180 देशों में से 150वें स्थान पर है।
लोकमत संसदीय पुरस्कार के चौथे संस्करण को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार कहा कि आज सच बोलने और लिखने की आजादी पर खतरा है। जब संसद के भीतर रखी गई बातों को कार्यवाही से हटा दिया जाता है, तो बहुत पीड़ा होती है।
खड़गे ने कहा, हमारे संसदीय लोकतंत्र में सांसदों और मीडिया को सवाल पूछने का विशेषाधिकार है, लेकिन जब संसद में रखी जाने वाली बातें कार्यवाही से निकाली जाती हैं, शायरी तक निकाली जाती है, तो हमें पीड़ा जरूर होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया का एक हिस्सा आज अपनी आजादी की रक्षा के लिए लड़ रहा है, वहीं एक हिस्सा सत्ता के आगे सरेंडर कर चुका है। आज सच लिखने और बोलने की आजादी पर खतरा है। पेड न्यूज, फर्जी खबरें, टीआरपी घोटाला, सनसनी, पक्षपात और भेदभाव भरी खबरों ने उसकी छवि पर थोड़ा असर डाला है। हमारे संसदीय लोकतंत्र में सांसदों और मीडिया को सवाल पूछने का विशेषाधिकार है। लेकिन जब संसद में रखी अहम बातें प्रोसीडिंग से बाहर होने लगें, शायरी तक बाहर होने लगें तो पीड़ा जरूर हमको होती है।
खड़गे बोले मीडिया का एक तबका अंधविश्वास को बढावा दे रहा है। गरीबी, बेरोजगारी, विषमता जैसे सवाल गायब हो रहे हैं। इलेक्टॉनिक मीडिया एजेंडा चला रहा है। हमें याद रखना चाहिए कि भारत में ऐसे तमाम महान पत्रकार हुए, जिन्होंने निडर होकर फिरकापरस्त ताकतों, जातिवाद और संप्रदायिकता का विरोध किया। लेकिन आज वो सभी कमजोर दिख रहे हैं।
यह चिंता की बात है कि जिस देश में संविधान ने मीडिया को इतनी आजादी दी है, वह दुनिया के 180 देशों में.. प्रेस की आजादी की रैकिंग 2022 के आंकड़े अगर निकालें तो हमारा स्थान 150 पर है, यानि 180 देशों में जहाँ पर प्रेस की आजादी है, तो वहाँ पर हमारी रैंकिंग 150 पर है।
आज हेट स्पीच को मीडिया का एक तबका हवा देता है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 सितंबर, 2022 को पूछा था कि सरकार इस पर चुप क्यों है? ये भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल घृणा भाषण की पूंजी बनाते हैं और टीवी चैनल एक मंच के तौर पर काम करते हैं।
--आईएएनएस
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