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सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने दी क्लीन चिट
Rani Sahu
2 Jan 2023 4:25 PM GMT
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने सरकार के इस कदम को सही ठहराते हुए नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा है कि यह निर्णय कार्यकारी की आर्थिक नीति होने के कारण उलटा नहीं जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। इस तरह के उपाय को लाने के लिए दोनों के बीच एक समन्वय था। कोर्ट ने कहा है कि नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। आरबीआई के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र और आरबीआई के बीच परामर्श के बाद यह निर्णय लिया गया।
फैसला रख लिया था सुरक्षित
इससे पहले शीर्ष अदालत ने सात दिसंबर को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया था कि वे 2016 के फैसले से संबंधित सारे रिकॉर्ड उनको सौंपे। इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, ए एस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यन और बी वी नागरत्ना भी शामिल हैं। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान सहित आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलें सुनी थीं।
58 याचिकाओं के बैच पर हुई सुनवाई
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 नवंबर, 2016 को केंद्र द्वारा घोषित नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई की है। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद करने को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताते हुए वरिष्ठ वकील चिदंबरम ने तर्क दिया था कि सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है। ये केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है।
वहीं, 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के शीर्ष अदालत के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है जब 'घड़ी को पीछे करने' से कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।
{जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।}
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