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नई दिल्ली : उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर विधानसभा (Karawal Nagar Assembly) इलाके के सोनिया विहार (Sonia Vihar of North East Delhi) के लोग इन दिनों अपने जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते परेशान हैं. साथ ही जन समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं. हैरत तो इस बात की है कि स्थानीय सांसद, विधायक भाजपा से हैं और पूर्व निगम पार्षद भी भाजपा से रही हैं. इसके बावजूद नेता इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. लोग विधायक विधायक मोहन सिंह बिष्ट (MLA Mohan Singh Bisht), सांसद मनोज तिवारी (MP Manoj Tiwari) व निगम पार्षद सुषमा मिश्रा (Corporation Councilor Sushma Mishra) से उदासीन हैं.
सोनिया विहार के लोगों का मानना है कि पिछले 7 सालों से यह पूरा इलाका विकास के लिए तरस रहा है और यहां समस्याओं की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. यमुनापार का सोनिया विहार इलाका वैसे तो करावल नगर विधानसभा में आता है, जहां भाजपा के विधायक मोहन सिंह बिष्ट हैं. वहीं यह क्षेत्र उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा में लगता है, जहां से सांसद मनोज तिवारी हैं. फिर भी स्थानीय जनता सड़कों की बदहाली नालियों की बदहाली और सफाई व्यवस्था को लेकर नारकीय जीवन जीने के लिए विवश हैं.
इस इलाके में रहने वाले बीरेन्द्र गुप्ता फौजी का कहना है कि क्षेत्र की जनता का साफ कहना है कि पिछले सात सालों से इलाके में कोई विकास कार्य नहीं हुआ. यहां विकास होना तो दूर उल्टे जन समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. सड़कें टूटी हैं, नालियां टूटी हैं, हालत यह है कि जरा सी बारिश से ही इलाके में जल जमाव और कीचड़ की समस्या हो जाती है, जिससे लोगों का जीना दूभर हो जाता है.
वंसी यादव का कहना है कि वैसे तो कहने को हम लोग दिल्ली में रहते हैं, लेकिन जिस तरह से इलाके के हालात हैं. उससे तो ऐसा लगता है जैसे हम किसी गांव देहात में रहते हैं. कई गलियां, सड़क, प्रतिनिधियों द्वारा आजतक बनवाई ही नहीं गई हैं. इसलिए लोग हमेशा परेशान रहते हैं. फिलहाल सोनिया विहार के इलाके का जायजा लेने से लगता है कि यहां जन प्रतिनिधियों का इस और कोई ध्यान नहीं रखते जिसकी वजह से ही यहां के लोग समस्याओं से जूझ रहे हैं.
आपको बता दें कि यहां से भाजपा से निगम पार्षद सुषमा मिश्रा रही हैं. लोगों का आरोप है निगम पार्षद रहते हुए यहां की पार्षद ने भी इलाके में कोई विकास नहीं किया है और विधायक मोहन सिंह विष्ट तो कभी इस इलाक़े में आते ही नही हैं. जब चुनाव नजदीक होते हैं तब जरूर वोट मांगते हुए दिखाई दे जाते हैं. चुनाव के बाद नेता अपने क्षेत्रों में दिखाई भी नहीं देते. यहाँ के निवासी इस समय अपने नेताओं से दुखी हैं और स्थानीय जनता नारकीय जीवन जीने के लिए विवश हैं.