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एमराल्ड और एटीएस सोसाइटी में टास्क फोर्स की टीम ने निवासियों को सुरक्षा अभ्यास कराया
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
एमराल्ड और एटीएस सोसाइटी में टास्क फोर्स की टीम ने निवासियों को सुरक्षा अभ्यास (इवैक्यूएशन ट्रेनिंग) कराया। इस दौरान महिलाएं और बच्चे भी मौजूद रहे। यह अभ्यास दो दिन तक कराया जाएगा।
नोएडा के ट्विन टावर में विस्फोटक से टावर एमराल्ड और एटीएस को खाली कराया जाएगा। यहां के निवासियों के ठहरने के लिए सेक्टर-93ए स्थित पार्श्वनाथ प्रेस्टीज सोसाइटी, सेक्टर-93 की पूर्वांचल सिल्वर सिटी और सेक्टर-137 की पूर्वांचल सोसाइटी में व्यवस्था की गई है। वहीं, फेलिक्स अस्पताल में बेड आरक्षित कराए गए हैं। सोसाइटी में रह रहे डॉक्टरों की भी मदद ली जाएगी। निवासियों के लिए एंबुलेंस भी बुक कराई गई हैं।
भोंपू बजे तो हो जाओ सावधान, चार अलार्म लगे
एमराल्ड और एटीएस सोसाइटी में टास्क फोर्स की टीम ने निवासियों को सुरक्षा अभ्यास (इवैक्यूएशन ट्रेनिंग) कराया। इस दौरान महिलाएं और बच्चे भी मौजूद रहे। यह अभ्यास दो दिन तक कराया जाएगा। एमराल्ड कोर्ट की सुरक्षा टीम के प्रमुख गौरव मेहरोत्रा ने बताया कि रविवार को एमराल्ड और एटीएस सोसाइटी का सिक्योरिटी स्टाफ एरिया को खाली कराया जाएगा। सुबह सात बजे निवासियों को घर से बाहर जाने पर फ्लैट के बाहर ताले पर एक पर्ची आदि की जानकारी दी गई।
निवासियों की सुरक्षा के लिए चार अलार्म लगाए गए हैं। अलार्म की आवाज भोंपू की तरह होगी। निवासियों को संदेश देने लिए सुरक्षा टीम अलार्म बजाएगी। लोगों को बताया गया कि कितनी बार किन परिस्थितियों में भोंपू बजाया जाएगा। निवासी उसके अनुसार दिए गए निर्देश का पालन करेंगे। इसके साथ ही सुबह फ्लैट से निकलते समय गैस, बिजली-पानी के कनेक्शन बंद कर बिजली का मेन स्विच बंद करना होगा।
सोसाइटी में 200 निवासियों की रुकने की व्यवस्था की गई है। सोसाइटी के सभी डॉक्टरों की टीम भी बनाई गई है। - उमाशंकर शर्मा, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, सिल्वर सिटी सेक्टर-93
क्लब हाउस में सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लगभग 200 लोगों के रुकने का व्यवस्था की गई है। - मीना वर्धन, उपाध्यक्ष, एओए, पूर्वांचल रॉयल पार्क, सेक्टर-137
सोसाइटी के क्लब में 150 लोगों के ठहरने का इंतजाम किया गया है। ध्वस्तीकरण से एक दिन पहले लोग शिफ्ट हो जाएंगे। - रजनीश नंदन, आरडब्ल्यूए अध्यक्ष, पार्श्वनाथ प्रेस्टीज, सेक्टर-93ए
पार्श्वनाथ सृष्टि, सिल्वर सिटी, सेक्टर-137 दाऊजी हाल में लोगों को ठहराने के लिए बात चल रही है। शेल्टर होम बनाया जा रहा है। इसमें खाने-पीने के साथ ही चिकित्सा व्यवस्था रहेगी। - गौरव मेहरोत्रा, चेयरमैन, एओए के सुरक्षा टीम, सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट
सबसे करीब मेरा मकान है। टीम ने अच्छा काम किया है। आसपास की सोसाइटियों ने आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर अच्छी व्यवस्था की है। - राजेश राना, पूर्व अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, एमराल्ड कोर्ट, सेक्टर-93
आज ट्रैफिक वालंटियर जाएंगे ट्विन टावर
ट्रैफिक पुलिस के साथ टीम वालंटियर बृहस्पतिवार को ट्विन टावर जाएगी। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस के साथ कई प्रकार की रणनीति भी तय होगी। टीम की श्रेया शर्मा ने बताया कि उनकी वालंटिर टीम 28 को भी कार्य करेगी।
निवासियों ने जताई पक्षियों और पौधों की चिंता
एमराल्ड और एटीएस सोसाइटी के निवासियों ने पक्षियों और पौधों की चिंता जताई। एटीएस निवासी उषा मुरली ने बताया कि एक बार पौधों की मिट्टी खराब हुई तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता। वहीं, गार्डन में मौजूद लगभग 100 पक्षियों के लिए कोई व्यवस्था समझ में नहीं आ रही है। लोगों ने हरियाली के बारे में भी चिंता जताई है।
आसपास के निवासियों के लिए जरूरी सुझाव
1. विध्वंस के समय (दोपहर 2:30 बजे) अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें।
2. आप अपने एसी यूनिट को कवर करने की योजना बना सकते हैं।
3. वाहनों को कवर करने की योजना बना सकते हैं, विशेष रूप से खुली पार्किंग में पार्क किए गए।
4. एसी को तब तक बंद कर दें जब तक कि विस्फोट के ठीक बाद धूल जम न जाए।
5. उस अवधि के लिए अपने फ्लैट/सोसाइटी से बाहर जाने से बचें।
6. अगर आपको किसी काम के लिए बाहर जाना पड़े तो ट्रैफिक एडवाइजरी देखें।
7. बालकनी से कपड़ा आदि हटा दें और चिमनी के निकास को कवर करें।
8. विध्वंस के दौरान और बाद में सांस की तकलीफ से बचने के लिए मास्क पहनें
9. अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण, घबराएं नहीं और किसी भी स्थिति में धैर्य बनाए रखें।
बीती घटना से लें सीख
केरल के कोच्चि और मराडु में जनवरी 2020 में चार टावर होली फेथ एच-20, अल्फा सिरीन, जैन कोरल कोव व गोल्डन कायलओरम के ध्वस्तीकरण के बाद आसपास के लोगों को महीनों तक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हुई थीं। इसमें सिरदर्द, अस्थमा, अटैक, जुकाम, कफ और एलर्जी के कारण लोग परेशान रहे थे। चारों टावर गिरने से 75 हजार टन का मलबा निकला था। इसे हटाने के लिए 70 से अधिक दिन लगे थे। टावर ध्वस्तीकरण के बाद वातावरण में वायु प्रदूषण पांच गुना तक बढ़ गया था। आसपास के लोगों का स्वास्थ्य खराब होने पर प्रशासन को स्वास्थ्य शिविर लगाना पड़ा था। टावर ध्वस्तीकरण के बाद आसपास के घर, पेड़, दीवार, पार्क सहित खाली जगह पर धूल जम गई थी। हल्की हवा चलने पर भी लोगों के घरों में धूल घुस जाती थी।