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निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में सुधार और लागत को तर्कसंगत बनाने के लिए दिल्ली नगर निगम जानिए
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और नई दिल्ली पालिका परिषद (एनडीएमसी) की मौजूदा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के साथ ही मौजूदा कार्य प्रणाली की गहन समीक्षा के निर्देश दिए हैं। वहीं निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में सुधार और लागत को तर्कसंगत बनाने को कहा है।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में सुधार और लागत को तर्कसंगत बनाने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और नई दिल्ली पालिका परिषद (एनडीएमसी) को निर्देश दिए हैं।
उन्होंने तीनों निकायों की मौजूदा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के साथ ही मौजूदा कार्य प्रणाली की गहन समीक्षा के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने वित्तीय ईमानदारी को अपनाते हुए परियोजनाओं को तयशुदा वक्त पर पूरा करने का निर्देश दिया है। इससे संबंध में 30 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने का भी उपराज्यपाल ने निर्देश दिए हैं।
एलजी ने परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए पाया कि समय पर पूरा ना होने की वजह से लागत में वृद्धि होती है। इससे जनता को सेवाएं मुहैया करने में भी देरी हो रही है। उपराज्यपाल ने इंजीनियरिंग, पारिस्थितिकी, वनस्पति विज्ञान और बागवानी से संबंधित मामलों को गंभीरता से लेते हुए सुधार के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं।
उपराज्यपाल ने कहा कि कई वित्त संबंधी पुख्ता योजना नहीं होने से कार्य बढ़ जाता है। इससे प्रशासनिक अनुमोदन में भी देरी होती है। कई मामले में प्रमुख लेखा परीक्षक, एमएफएआई (प्रमुख वित्तीय लेखा अनियमितता) या केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच भी जरूरी हो जाती है। इससे राजकोष को वित्तीय नुकसान पहुंचाने के साथ ही विभाग की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
कुुछ परियोजनाओं में नियमित योजना और अनुमान के कारण, निविदा स्वीकृत दरों की तुलना में प्रशासनिक अनुमोदन और तकनीकी स्वीकृति अत्यधिक दरों पर की जाती हैं। मुद्रास्फीति और दोषपूर्ण बजट आवंटन के कारण जनता के पैसों के इस्तेमाल सीमित कर दिया जाता है, जिसे दूसरी परियोजना में उपयोग किया जा सकता था।
एलजी ने दिए कई सुझाव
उपराज्यपाल ने सलाह दी थी कि विभिन्न परियोजनाओं के वार्षिक संचालन और रखरखाव के लिए एकल निविदा जारी होनी चाहिए। इससे निविदाओं और अनुबंधों की संख्या को कम किया जा सकता है। इससे न केवल कागजी प्रक्रिया कम होगी बल्कि समय की भी बचत होगी। गुणवत्ता की निगरानी भी जरूरी है और कार्यों में दक्षता के लिहाज से पहल किया जाना चाहिए। 30 सितंबर तक इस मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट कार्यालय को भेजी जाए।
उन्होंने निर्देश दिया है कि सिविल और इंजीनियरिंग परियोजनाओं की योजना, निष्पादन और निगरानी में जुटे अधिकारियों को तयशुदा नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए। गुणवत्ता से समझौता किए बगैर वित्त का ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि परियोजना को समय पर पूरा किया जा सके। अगर जरूरी हो तो प्रणाली की समीक्षा भी करनी चाहिए।
. विभागों और एजेंसियों को एक उपयुक्त निवारण तंत्र बनाना चाहिए ताकि गलतियां करने वालों पहचान कर जिम्मेवारियां तय की जा सके। कुशल कर्मियों की मदद से कार्यों को पूरा किया जाना चाहिए।