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- फतेह सिंह, भारत की...
फतेह सिंह बताते हैं कि उनकी टुकड़ी में शामिल सिपाही उमेद ने दुश्मनों द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंग में अपना हाथ गंवा दिया। लेकिन हमारी टुकड़ी ने सतर्कता बरती और दो घुसपैठियों को मार गिराया।
रोहिणी स्थित एनसीसी भवन में चल रहे शिविर में तैनात छ: दिल्ली बटालियन के सूबेदार मेजर फतेह सिंह आज भी कारगिल युद्ध को याद करते हैं। सूबेदार मेजर फतेह सिंह 13 कुमांऊ रंजागला बटालियन में लांस नायक पद पर तैनात थे। उस समय उनकी उम्र 27 वर्ष थी। इस उम्र में उन्हें कारगिल युद्ध मे चार पहाड़ियों पर टास्क मिला था। फतेह सिंह की पोस्टिंग तुरतुक सेक्टर (मौजूदा नाम कैप्टन हनीफ सेक्टर) पर थी।
फतेह सिंह बताते हैं कि पॉइंट 5810 पर कब्जा करने का टास्क मिला था। उच्च अधिकारी कैप्टन हरकमल अटवाल, कैप्टन पठानिया, सूबेदार रोहतास यादव की अध्यक्षता में 20 जवानों को इस चोटी पर चढ़ना था। 20-20 की टुकड़ी में इस पहाड़ी को घेरना था। फतेह सिंह बताते है कि हम पहाड़ी के निचले हिस्से में थे और हमें ऊपर चढ़ना था। ऊपर दुश्मनों ने हथियार जमा कर रखे थे, ऊपर से फायरिंग हो रही थी। हम रात को योजना के तहत ऊपर चढ़ाई करते थे।
फतेह सिंह बताते हैं कि उनकी टुकड़ी में शामिल सिपाही उमेद ने दुश्मनों द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंग में अपना हाथ गंवा दिया। लेकिन हमारी टुकड़ी ने सतर्कता बरती और दो घुसपैठियों को मार गिराया, जिसके बाद बाकी बचे दुश्मन पोस्ट छोड़कर भाग खड़े हुए और हमने पहाड़ी पर चार दिन बाद सुबह पांच बजे कब्जा कर लिया। इस दौरान दुश्मनों के एचएमजी, मोर्टार, एके-47 मैगजीन और उनका राशन दाल, चावल, टेंट, ड्रेस इत्यादि को कब्जे में ले लिया गया।
उस समय फतेह सिंह बैटल फील्ड नर्सिंग असिस्टेंट की भूमिका में थे। आक्रमण के साथ साथियों को दवा देकर उनको सुरक्षित ठिकाने पर ले जाने की जिम्मेदारी उनपर थी और साथ ही कवरिंग फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहे थे। क्योंकि वहां बारूदी सुरंगें बिछी हुई थीं। फतेह सिंह मूलत: रेवाड़ी जिले के कोहारण गांव के रहने वाले हैं। मौजूदा समय दिल्ली के सागरपुर में रहते हैं।