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कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे, जानवर भाग रहे शहरों की ओर

Rani Sahu
7 Jan 2023 1:55 PM GMT
कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे, जानवर भाग रहे शहरों की ओर
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नोएडा (आईएएनएस)| देशभर में कंक्रीट के जंगल लगातार बढ़ते जा रहे हैं और जंगल का दायरा कम होता जा रहा है। इसीलिए देश के अलग-अलग राज्यों में यह खबरें सुनने को मिलती है कि जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में पहुंच गये।
चाहे वह राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा हो या फिर मुंबई की अरे कॉलोनी। ऐसे कई किस्से सुनने को मिलते हैं। जिनमें तेंदुआ, फिशिंग कैट और कई जंगली जानवर रिहाइसी इलाकों में देखे जाते हैं।
मुंबई के अरे कॉलोनी में तेंदुए के हमले की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। पिछले कुछ महीनों में कई लोग तेंदुए के हमले का शिकार हो चुके हैं। बीते साल नवंबर में भी तेंदुए के हमले से एक महिला घायल हो गई थी।
मुंबई के गोरेगांव की आरे कॉलोनी में पिछले कुछ दिनों से तेंदुए के हमले की घटनाओं में इजाफा हुआ है। इस दौरान हुई एक और घटना में आरे मिल्क कॉलोनी के आदर्श नगर की रहने वाली सरिता गौरव गंभीर रूप से जख्मी हुई थीं। तेंदुए ने आरे डेयरी के करीब नवजीवन नगर बस स्टॉप के पास महिला पर हमला किया।
मिली जानकारी के मुताबिक शाम को करीब 7 बजे के आसपास सरिता जंगल के समीप स्थित सड़क पर से जा रही थीं, तभी एक तेंदुए ने उन पर हमला किया। इस तरह को घटनाएं ये ही बताती है कि जंगलों का दायरा काफी कम हो गया है। जिसके चलते जानवर रिहायशी कॉलोनी में चले आते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में ग्रेटर नोएडा के रामवीर तंवर का भी जिक्र किया था। रामवीर तंवर तालाबों के सुंदरीकरण और उन्हें पुनर्जीवित करने का काम पिछले 6 सालों से कर रहे हैं।
गौतम बुध नगर, गाजियाबाद, सहारनपुर, हरियाणा के पलवल, मानेसर, दिल्ली समेत करीब 40 तालाबों को वह अभी तक पुनर्जीवित कर चुके हैं। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर रामवीर तंवर ने 2018 में अपनी नौकरी छोड़ दी और तालाब के सुंदरीकरण के काम में पूरी तरह जुट गए।
उनकी पहचान पोंड मैन ऑफ इंडिया के रूप में स्थापित हो चुकी है। रामवीर तंवर ने आईएएनएस से खासबातचीत में बताया है तेंदुए का रिहायशी इलाकों में आना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। पहले उनके जंगल का दायरा 100 किलोमीटर होता था लेकिन अब यह दायरा सिमट कर महज 10 से 20 किलोमीटर ही रह गया है। कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि खाने की कमी या रास्ता भटक कर यह जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं।
ग्रेटर नोएडा हो या मुंबई यहां पर जब इस तरीके के जंगली जानवर देखे जाते हैं तो यह माना जाता है कि यह अपने खाने की तलाश में यहां तक पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि जो नेचुरल जंगल है, उसमें भी टूरिस्ट काफी अंदर तक पहुंच रहे हैं और अपनी गाड़ी में वह तेज म्यूजिक और लाइटिंग का सामान लेकर जाते हैं, जिसकी वजह से जानवर डर के शहरों की तरफ चले आते हैं।
उनके मुताबिक जंगलों में खाने की कमी भी जंगली जानवरों के रिहायशी इलाकों में आने का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने यह भी बताया कि कई बार रात के वक्त जानवर हाईवे को पार करके रिहायशी इलाकों में आ जाता है लेकिन जब सुबह वह जाने की कोशिश करता है तब बहुत ज्यादा ट्रैफिक शुरू हो चुका होता है जिसको देखकर वह डर जाता है और यही छुपकर रहने लगता है।
उन्होंने बताया कि यह जानवर हमारे लिए खतरनाक भी हो सकते हैं, क्योंकि उनके लिए भेड़, बकरी इंसान आदि में कोई फर्क नहीं होता है। वह रिहायशी इलाकों में अपने खाने के लिए ही आते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि लोग खुद को सुरक्षित रखें और कोशिश करें कि उन्हें शोर मचा कर या कुछ ऐसा करके भगा है ताकि उन्हें चोट ना लगे क्योंकि वैसे भी भारत में हिंदुओं की संख्या काफी कम है।
गौतमबुद्ध नगर के वन अधिकारी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने आईएएनस से खास बातचीत करते हुए बताया कि अक्सर इस तरीके की घटनाएं देखने को मिलती हैं कि तेंदुआ या फिशिंग कैट जैसे जानवर जंगल को छोड़कर रिहायशी इलाकों में भटकते हुए चले आते हैं।
उन्होंने इसके लिए मुख्य वजह जंगलों में हो रही भोजन की कमी को बताया है। उन्होंने बताया कि रिहायशी इलाकों में कुत्ता या बकरी आदि के लालच में यह जानवर इधर आ जाते हैं। इनका रेस्क्यू कर इन्हें वापस जंगल में छोड़ दिया जाता है।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अजनरा सोसाइटी के लोग तेंदुआ के आने की घटना से काफी दहशत में है। लोगों ने वन विभाग और बिल्डर को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ प्रदर्शन भी किया। लोग अपनी सुरक्षा को लेकर काफी ज्यादा परेशान है। लोगों के मुताबिक तेंदुआ जैसा जानवर जब सोसाइटी के आसपास दिखाई देता है।
तब लोगों में काफी ज्यादा डर व्याप्त हो जाता है और उसके न पकड़े जाने के लिए वन विभाग काफी ज्यादा जिम्मेदार है।
सोसाइटी में ही रहने वाली निशा सिंह ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए बताया कि बीते सोमवार से ही वह अपने घरों में कैद है बच्चों को बाहर खेलने नहीं जाने दिया है और पति के भी ऑफिस आने और जाने पर चिंता होती है उन्होंने यह भी बताया कि सोसाइटी में कोई डिलीवरी वाला भी सामान डिलीवरी करने नहीं आ रहा है जिसकी वजह से सोसाइटी के लोगों की दिक्कतें बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि अगर बिल्डर ने सही समय पर खाली पड़ी बिल्डिंगों को पूरा कर लिया होता है या उसकी बाउंड्री वॉल को ठीक कर लिया होता तो फिर तेंदुआ अंदर एंट्री नहीं कर सकता था।
--आईएएनएस
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