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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
साइट के चारों ओर करीब 2.25 किलोमीटर लंबी कंकरीट की मजबूत दीवार बनाएगी। इससे कूड़े के पहाड़ से कचरा फिसलकर सड़कों पर नहीं आएगा।अधिकारियों ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी करके जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
हादसे रोकने के लिए गाजीपुर लैंडफिल साइट की किलेबंदी की जाएगी। साइट के चारों ओर करीब 2.25 किलोमीटर लंबी कंकरीट की मजबूत दीवार बनाएगी। इससे कूड़े के पहाड़ से कचरा फिसलकर सड़कों पर नहीं आएगा।
अधिकारियों ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी करके जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। इस परियोजना के लिए एमसीडी के डेम्स विभाग ने 24.16 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत बजट तैयार किया है। एमसीडी ने इसे दिल्ली शहरी विकास विभाग को भेजा है। एमसीडी के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली शहरी विकास विभाग इसके निर्माण के लिए पैसा देने को राजी है।
एशिया का सबसे बड़ा कचरा स्थल हटने में देरी क्यों ?
गाजीपुर लैंडफिल साइट एशिया का सबसे बड़ा कचरा स्थल है। 1984 में दिल्ली सरकार ने इसे शुरू किया था। 2002 तक यहां क्षमता से ज्यादा कचरा जमा हो गया था। 2019 में इसकी ऊंचाई करीब 65 मीटर हो गई थी। मौजूदा समय इसकी ऊंचाई तेजी से घटाने का प्रयास चल रहा है। यहां ट्रोमेल मशीनें लगाई गई हैं। एक वेस्ट टु एनर्जी प्लांट भी काम कर रहा है। लेकिन आज भी यहां रोजाना करीब 3000 मीट्रिक टन कचरा आ रहा है।
एलजी का 18 माह में हटाने का निर्देश
ऐसे में उपराज्यपाल ने लैंडफिल साइट को पूरी तरह समाप्त करने के लिए 18 महीने का समय दिया है, लेकिन लैंडफिल साइट के पूरी तरह से हटने में अभी और समय लगेगा।
21 बार आग लगने की घटनाएं हुईं चार साल में
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर पिछले चार साल में करीब 21 बार आग लगने की घटनाएं हुई हैं। हर साल गर्मी के मौसम में बारिश आने तक यहां लगातार कूड़ा सुलगता ही रहता है। कई बार कूड़े से तेज लपटें निकलने लगती हैं। एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि लैंडफिल साइट पर मिथेन गैस का लगातार बहाव होता है। गर्मी में तापमान बढ़ने पर मिथेन गैस के चलते आग लग जाती है।
20 और कैमरे लगेंगे
साइट पर लगने वाली आग की घटनाओं पर निगरानी के लिए यहां 20 और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अलावा मिथेन गैस का पता लगाने के लिए संयंत्र और फायर एलार्म सिस्टम भी लगेगा।