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मुंगेली: मुंगेली विकासखंड के ग्राम लिम्हा के महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) में जय महामाया स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर से गोकाष्ठ का निर्माण किया जा रहा है। समूह द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से 09 क्विंटल गोबर से मात्र पन्द्रह दिनों में 600 नग गोकाष्ठ का निर्माण किया जा चुका है। राज्य शासन द्वारा स्थानीय युवाओं एवं महिलाओं को रोजगार व स्व रोजगार से जोड़ने के लिए मुंगेली जिले के प्रत्येक विकासखंड के दो-दो गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप विकसित किया जा रहा है। क्षेत्रीय मांग के अनुरूप उत्पाद तैयार करने के लिए प्रत्येक रीपा में विभिन्न मशीन यूनिट भी स्थापित किया गया है। ग्राम लिम्हा के रीपा में गोकाष्ठ निर्माण यूनिट का स्थापना किया गया है। जिसके माध्यम से स्व सहायता समूह द्वारा गोकाष्ठ का निर्माण किया जा रहा है।
ऐसे निर्माण किया जाता है गोकाष्ठ
महिला समूह ने बताया कि उनके द्वारा रीपा में प्रतिदिन कई घंटों की मेहनत के बाद गोकाष्ठ को तैयार किया जा रहा है। इसको बनाने में गोबर, लकड़ी का चूरा आदि का प्रयोग किया जाता है। इन सबको मिलाकर मशीन में मिश्रित गोबर डालकर उसमें से गोल लकड़ी के गोल आकार वाली गोकाष्ठ निकलती है। जिसको चार से पांच दिन तक सुखाया जाता है। इसके बाद इसे काम में लिया जाता है। उन्होेंने बताया कि 16 मई से गोबर से गोकाष्ठ निर्माण कार्य किया जा रहा है। गोकाष्ठ को रीपा में उपयोग के अलावा नगरपालिका के माध्यम से मुक्तिधाम के लिए भी भेजा जाएगा। जहां इसका उपयोग शवदाह के लिए किया जा सकेगा।
पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन में भी होगा कारगर
पर्यावरण को बचाने के लिए दुनियांभर में लकड़ी के विकल्प पर काम हो रहा है, ताकि लकड़ी पर हमारी निर्भरता कम हो और वनों को सुरक्षित किया जा सके। इस दिशा में रीपा के माध्यम से एक नई पहल शुरू की है, जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। गाय के गोबर से लकड़ी का विकल्प तैयार किया जा रहा है। लकड़ियों की तुलना में गोकाष्ठ से कम धुआं निकलता है, जिसका लाभ व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को संरक्षित करने में होता है। लकड़ियों की अपेक्षा गौकाष्ठ तेजी से आग पकड़ती है और तेज गर्मी पैदा करती है। सांचे की मदद से इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है। गोकाष्ठ लकड़ी का सुलभ विकल्प बन सकता है।
jantaserishta.com
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