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छत्तीसगढ़ में कैडवर अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण के लिए संस्थाओं के पंजीयन की तैयारी

jantaserishta.com
8 May 2022 4:42 AM GMT
छत्तीसगढ़ में कैडवर अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण के लिए संस्थाओं के पंजीयन की तैयारी
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में कैडवर अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण (Diseased Organ Transplantation) के लिए संस्थाओं के पंजीयन की तैयारी की जा रही है। इसके लिए मानव अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण के समुचित प्राधिकारी सह संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने संचालक चिकित्सा शिक्षा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर के निदेशक, दाऊ कल्याण सिंह सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल रायपुर के संचालक और राज्य कार्यक्रम अधिकारी (नर्सिंग होम एक्ट) को पत्र लिखकर विशेषज्ञ स्तर पर उप समिति के गठन हेतु प्रतिनिधि नामांकित करने और संस्थाओं को पंजीकृत कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने कहा है।

पत्र में संस्थाओं से नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, गैस्ट्रो-सर्जरी (एमसीएच), सीटीवीएस सर्जरी, कार्ड एवं पल्मोनरी मेडिसीन विभाग के विशेषज्ञ स्तर पर एक उप समिति गठित किये जाने हेतु प्रतिनिधि नामांकित करने कहा गया है। यह समिति राज्य अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) के संचालक को अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण के आवेदनों की अनुशंसा कर सकेगी।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में मानव अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 और 2014 संशोधित अधिनियम लागू है। इस अधिनियम के अंतर्गत ही कैडवर अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण किए जा सकते हैं। राज्य अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन एवं मानव अंग उत्तक प्रत्यारोपण की गतिविधियों के सुचारू संचालन के लिए राज्य पर्यवेक्षक समिति का भी गठन किया गया है। डॉ. कमलेश जैन को इसका राज्य नोडल अधिकारी बनाया गया है। यह समिति समुचित प्राधिकारी के मार्गदर्शन में मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण के लिए कार्य करेगी।
राज्य अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) के अनुसार कैडवर प्रत्यारोपण हेतु संस्था को पंजीकृत कराया जाना आवश्यक है। प्रत्यारोपण के लिए दो तरह की संस्थायें सहयोगी होती है। पहली संस्था जो स्वयं प्रत्यारोपण में शामिल होती है और दूसरी संस्था जहां मृत्यु उपरांत शरीर उपलब्ध है, तथा जहां अंग दान हेतु सुरक्षित रखा जाता है तथा सूचना एवं प्रक्रिया उपरांत अंग प्रत्यारोपण हेतु उपयोग में लाया जाता है। उपरोक्त दोनो प्रकार की संस्थाओं को पंजीकृत कराया जाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही जन समुदाय में स्वेच्छा से मृत्यु उपरांत अंग दान (शरीर) हेतु लोगों को प्रोत्साहित किया जाना भी जरूरी है।

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