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रायगढ़: केलो वृहत सिंचाई परियोजना रायगढ़ के लिए वरदान सिद्ध होगा। इस सिंचाई परियोजना के पूरे होने से 175 गांवों में सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। वहीं पेयजल और निस्तारी के लिए भी गांवों को पानी मिलेगा। परियोजना में 80 फीसदी से अधिक कार्य पूरा कर लिया गया है और अंतिम चरण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। मुख्य नहर और शाखा नहर का काम पूरा किया जा चुका है। वितरक और लघु नहरों के शेष बचे काम को भी पूरा किया जा रहा है। दिसंबर 2023 तक नहरों का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जिससे परियोजना का लाभ जिले के किसानों को मिल सके।
गौरतलब है कि केलो वृहत परियोजना की शुरुआत 2009 में हुई थी। इसकी लागत 891 करोड़ रुपए है। इसमें केलो डैम के निर्माण के साथ ही मुख्य नहर, शाखा और वितरक नहरों का निर्माण शामिल है। केलो डैम की क्षमता 61.95 मिलियन क्यूबिक मीटर है। इस परियोजना के पूरे होने से 175 गांवों के 22 हजार 810 हेक्टेयर को सिंचाई सुविधा मिलेगी। जिसमें रायगढ़ जिले के 167 गांवों की 21 हजार 596 हेक्टेयर और सक्ती जिले के 8 गांवों की 1 हजार 214 हेक्टेयर जमीन शामिल है। इसके निर्माण की उच्च स्तर से नियमित समीक्षा की जा रही है।
पुसौर विकासखंड के ग्राम नेतनागर में भी नहर का काम किया जाना है। यहां लगभग 1.6 किमी का काम होगा। जिसके पश्चात 860 हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की सुविधा मिलेगी। केलो परियोजना में नहरों का काम पूरा होने पर हजारों किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। सिंचाई का रकबा तो बढ़ेगा ही। भू-जल के रिचार्ज का एक बड़ा फायदा नहरों के बनने से मिलेगा। जो आने वाले समय में भी पेयजल की आपूर्ति और स्थानीय जल स्त्रोतों में वाटर लेवल को बनाए रखने के लिहाज से अत्यंत लाभकारी होगा। इससे क्षेत्र में फसल की उत्पादकता बढ़ेगी।
परियोजना पूर्ण होने से ये होंगे फायदे
केलो परियोजना में नहरों का काम पूरा होने पर हजारों किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। नहर से पानी मिलने से जहां सिंचित रकबे में वृद्धि होगी वहीं फसल की उत्पादकता भी बढ़ेगी। भू-जल रिचार्ज करने में भी इससे मदद मिलेगी। निस्तार और पेयजल की आपूर्ति में भी सहायता होगी।
मुख्य नहर और शाखा नहर का काम पूरा, वितरक और लघु नहरों में चल रहा काम
परियोजना में कुल 313 किमी लंबाई के नहर बनाने है। जिसमें से 248 किमी लंबाई की नहरें बनाई जा चुकी हैं। इसमें 1 मुख्य नहर के साथ, 1 शाखा नहर, 7 वितरक नहर और 91 लघु नहरों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें मुख्य नहर के 28.31 किमी और झारमुड़ा के 16.11 किमी शाखा नहर का काम पूरा किया जा चुका है। वहीं 68.60 किमी वितरक नहर और 135.50 किमी लघु नहरों का काम पूरा हो चुका है। शेष कार्य भी पूरा किया जा रहा है। परियोजना को दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
केलो से दिया जाता है 13 हजार करोड़ लीटर सिंचाई और 444 करोड़ लीटर पेयजल के लिए
केलो बांध में स्टोर किया गया पानी नहरों के माध्यम से सिंचाई और पेयजल और निस्तारी के लिए दिया जाता है। कार्यपालन अभियंता श्री पी.आर.फुलेकर ने बताया कि केलो बांध की ऊंचाई 24.22 मीटर है। इसमें स्टोर पानी में से विभिन्न प्रयोजनों के लिए नहरों के माध्यम से पानी दिया जा रहा है। जिसमें से 137.48 एमसीएम अर्थात 13 हजार 738 करोड़ लीटर पानी सिंचाई के लिए दिए जाने का प्रावधान है। इसके साथ ही लगभग 444 करोड़ लीटर पानी पेयजल के उद्देश्य से दिया जाता है। इसमें बारिश के पानी के साथ ही स्टोरेज क्षमता का पानी उपयोग किया जाता है।
34 कि.मी.दूर कठली में पहुंच रहा नहर से पानी
केलो परियोजना के तहत नहरों के निर्माण होने से गांवों तक पानी पहुंच रहा है। जिसका उपयोग गांव में किसान खेती किसानी के साथ ही पेयजल और निस्तारी के लिए कर रहे हैं। केलो बांध से लगभग 34 कि.मी. दूर पुसौर विकासखंड का कठली गांव है। यहां पर केलो नहर का काम पूरा हो चुका है और यहां नहर से पानी भी पहुंच रहा है।
jantaserishta.com
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