बलौदाबाजार: कुष्ठ पोषण योजना के पायलट प्रोजेक्ट में अब बलौदाबाजार- भाटापारा जिला भी हुआ शामिल हो गया है। इस योजना के तहत कुष्ठ के मरीजों को निःशुल्क पूरक पोषक आहार मुहैया कराया जाएगा। इससे जिले के 442 मरीज लाभांवित होगें। गौरतलब है कि कुष्ठ एक संक्रामक रोग है। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रति वर्ष लगभग 9 हजार मामले चिंहाकित होते हैं तथा प्रदेश में कुष्ठ की प्रसार दर देश में सबसे अधिक है। यह हर वर्ग को समान रूप से प्रभावित करता है। विशेष रूप से तंत्रिकाओं को प्रभावित करने के कारण शरीर में इस रोग से लड़ने हेतु मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के निर्माण के लिए भोजन के पूरक आहार की आवश्यकता होती है। इसे ही ध्यान में रखते हुए मरीजों के लिए कुष्ठ पोषण योजना का क्रियान्वयन प्रदेश में शुरू किया गया है। वर्तमान में यह योजना अपने पायलट प्रोजेक्ट मोड में है। जो बलौदबाजार-भाटापारा के अतिरिक्त महासमुंद जिले मे संचालित हो रही है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम पी महिस्वर ने दी हैं। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉक्टर एफ.आर. निराला ने कुष्ठ पोषण योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत एक लीटर सोयाबीन तेल, डेढ़ किलो मूंगफली दाना और फूटा चना तथा 500 ग्राम स्किम्ड दूध पाउडर मरीज को निशुल्क प्रदान किया जा रहा है। यह पूरक पोषक आहार मरीज के उपचार की पूरी अवधि तक प्रतिमाह दिया जाता है। इसके साथ ही मरीज को विटामिन एवं मिनरल्स की गोलियां भी निशुल्क दी जाती हैं।
डॉ निराला के अनुसार कुष्ठ रोगियों को नियमित और पूर्ण उपचार के लिए प्रोत्साहित करना एवं लक्षणों का शीघ्र पता लगाने साथ ही सरकारी सुविधाओं में प्रभावी उपचार,देखभाल की उपलब्धता के प्रति रोगियों और समुदाय में जागरूकता बढ़ाना इस योजना के कुछ प्रमुख उद्देश्य हैं। पूरक पोषण आहार लेने से मरीज के बॉडी मास इंडेक्स में वृद्धि होती है जिससे उसकी तंत्रिका क्षति और विकृति की रोकथाम के साथ-साथ उसे डिफॉल्ट होने से भी रोका जा सकता है। पूरक पोषक आहार का एक मुख्य लाभ यह भी है कि कुपोषित और अल्प पोषित मरीजों के मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा में सुधार किया जा सकता है। कुष्ठ एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टेरियम लेप्री नामक जीवाणु से फैलता है । इसका संक्रमण मुख्य रूप से शरीर की नसों, हाथ- पैरों ,नाक की परत और ऊपरी स्वसन तंत्र को प्रभावित करता हैं। उपचार न करवाने की दशा में शारीरिक विकृति का खतरा रहता है । त्वचा में सुन्नपन होना तापमान में बदलाव महसूस ना होना, स्पर्श का अनुभव ना होना, यह कुष्ठ के शुरुआती लक्षण है जबकि नसों का क्षतिग्रस्त हो जाना,त्वचा पर फोड़े या चकत्ते बन जाना ,आंखों में सूखापन या पलक झपकना कम होना, कभी-कभी अल्सर हो जाना तथा उंगलियों में विकृति यह भी कुष्ठ के कारण हो सकता है। वर्तमान में जिले में कुल 442 उपचार रत कुष्ठ के मरीज हैं इसमें सबसे अधिक 133 मरीज बिलाईगढ़ विकासखंड में पाए गए हैं जबकि बलौदा बाजार में 54 भाटापारा में 53 ,कसडोल में 55, पलारी में 94, सिमगा में 53 कुष्ठ मरीज उपचार ले रहे हैं । कुल मरीज में पीबी के 185 और एम बी के 257 हैं । कुष्ठ का उपचार 6 माह से 12 माह तक चलता है । इसके लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में निशुल्क एमडीटी की दवाई मरीज को दी जाती है । दवा का पूरा कोर्स करने के बाद व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है। कुष्ठ की पहचान यदि प्रारंभिक अवस्था में ही कर ली जाए तो शरीर में किसी प्रकार की विकृति को भी रोका जा सकता है ।