x
ग्लोबल अनिश्चितताओं और स्लोडाउन के बावजूद भारतीय इकॉनमी अच्छी गति से विकास कर रही है और माना जा रहा है कि यह तेजी आगे भी बनी रहेगी. इतना ही नहीं भारतीय इकॉनमी ने देश के केंद्रीय बैंक द्वारा लगाए गए अनुमान को भी पीछे छोड़ दिया है और शानदार वृद्धि की है.
कैसी रहेगी भारत की GDP की रफ्तार?
रेटिंग एजेंसी Crisil ने अनुमान लगाया है कि इस वित्त वर्ष के दौरान भारत की GDP (सकल घरेलु उत्पाद) 6% की दर से वृद्धि करेगी जबकि वित्त वर्ष 23 के दौरान यह 7.2% हुआ करती थी. अपनी एक रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा है कि बाहरी मांग की वजह से विकास की दर में कमी देखने को मिलेगी. इसके साथ ही इंटरेस्ट रेट में काफी तेजी से वृद्धि होगी जिसकी वजह से दुनिया भर के कई विकसित देशों की इकॉनमी की रफ्तार में भी कमी देखने को मिलेगी.
इंडस्ट्रीज पर कम हुआ इन्फ्लेशन का दबाव
रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि घरेलु इंटरेस्ट रेट्स में की गई बढ़ोत्तरी विकसित देशों से काफी कम है लेकिन इस वक्त भारत में उधार दिए जाने पर वसूल किए जाने वाला ब्याज कोविड महामारी के मुकाबले इस वक्त काफी उच्च स्तर पर पहुंच गया है. औद्योगिक परफॉरमेंस के बारे में बात करते हुए Crisil ने कहा कि इन्फ्लेशन की वजह से पिछले कुछ समय से इंडस्ट्रीज पर बना दबाव हुआ था जो अब कम होता नजर आ रहा है. रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि “चीजों की कम होती कीमतों की वजह से उत्पादकों के लिए इनपुट की कॉस्ट कम हुई है तो दूसरी तरफ कंज्यूमर्स की खरीदने की शक्ति में भी वृद्धि हुई है.
मैन्युफैक्चरिंग भी बढ़ी
मैन्युफैक्चरिंग के लिए बनाये जाने वाले स्टैण्डर्ड एंड पूअर्स (S&P) के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) में भी वृद्धि देखने को मिली है. अप्रैल में जहां यह 57.2% हुआ करता था वहीं अब यह बढ़कर 58.7% पर पहुंच गया है. अक्टूबर 2020 के बाद से हुई यह अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है. इससे पता चलता है कि मई के महीने में भी देश में मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार काफी अच्छी थी. इस सीजन में रबी की अच्छी फसल की वजह से ग्रामीण मांग में वृद्धि देखने को मिल रही है. लेकिन El Nino की वजह से खरीफ की फसल पर खराब होने का खतरा मंडरा रहा है.
Next Story