व्यापार

ऐसा हुआ क्या जिसकी वजह से शहर छोड़ रहे हैं मज़दूर जाने सरकार की तैयारी

Teja
20 Jan 2022 9:36 AM GMT
ऐसा हुआ क्या जिसकी वजह से शहर छोड़ रहे हैं मज़दूर जाने सरकार की तैयारी
x
ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर के दौरान देश में मनरेगा में काम की मांग चार महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंची है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर के दौरान देश में मनरेगा में काम की मांग चार महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंची है. आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के दौरान 2.47 करोड़ लोगों ने मनरेगा योजना के तहत रोजगार मांगा जो अगस्त के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है.

सरकार ने जारी किए आंकड़े
कोरोना की तीसरी लहर भले ही पहली दो लहरों की तरह घातक नहीं है, लेकिन पटरी पर लौटरी अर्थव्यवस्था के लिए नई चुनौती खड़ी कर रही है. आम आदमी की जेब पर इसकी मार भारी पड़ सकती है. रोजगार (Jobs), काम धंधे और अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर वैसे ही संकेत मिलने लगे हैं जो पहली और दूसरी लहर में दिखे थे. रिटेल बिक्री (Retail Sales) धीमी पड़ने लगी है. ईंधन की मांग कमजोर होने लगी है. बेरोजगारी बढ़ने लगी है और सबसे अहम देश में एक बार फिर से मनरेगा में काम की मांग बढ़ गई है.ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of rural development Government of India) के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर के दौरान देश में मनरेगा में काम की मांग चार महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंची है. आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के दौरान 2.47 करोड़ लोगों ने मनरेगा योजना के तहत रोजगार मांगा जो अगस्त के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है. नवंबर में भी 2.11 करोड़ लोगों ने रोजगार मांगा था.
मनरेगा में काम की मांग बढ़ी-मनरेगा के तहत मिलने वाले रोजगार की मांग बढ़ना साफ संकेत है कि कोरोना की तीसरी लहर की वजह से लोग गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं और गांव पहुंचकर रोजगार मांग रहे हैं यानी शहरों में भी बेरोजगारी बढ़ गई है. सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 7.91 फीसदी दर्ज की गई है.
ईंधन की मांग भी घटी
कोरोना की तीसरी लहर के असर से सिर्फ बेरोजगारी ही नहीं बढ़ रही है बल्कि देश में ईंधन की मांग भी घट रही है जो अर्थव्यवस्था में सुस्ती का साफ संकेत है. पीपीएसी के अनुसार बीते दिसंबर के दौरान देशभर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 1.84 करोड़ टन रही है जबकि पिछले साल दिसंबर में यह 1.83 करोड़ टन थी. कोरोना काल से पहले यानी 2019 के दिसंबर में 1.89 करोड़ टन मांग थी.
रिटेल बिक्री बड़ी मुश्किल से पटरी पर आती दिख रही थी, लेकिन तीसरी लहर ने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. रिटेलर्स एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर के दौरान रिटेल बिक्री वैसे तो कोरोना काल से पहले के मुकाबले सात फीसद बढ़ी है, लेकिन कुछ सेक्टर ऐसे हैं जहां पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. सलून, जिम और योगा केंद्रों पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी है.
पहली और दूसरी लहर की मार से यह सेक्टर अभी उबर भी नहीं पाया था और अब तीसरी लहर सामने आ चुकी है जो हालात और खराब कर सकती है. रिटेल एसोसिएशन के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर में ब्यूटी, वेलनेस तथा पर्सनल केयर केंद्रों पर रिटेल सेल 2019 के दिसंबर के मुकाबले सात फीसद गिरी है.
बेरोजगारी और कमजोर मांग के ये आंकड़े सिर्फ दिसंबर के हैं जब तीसरी लहर ने दस्तक दी ही थी. जनवरी में कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा घातक रूप ले रही है और जनवरी के आने वाले आंकड़ों में असर और भी खराब दिख सकता है.


Next Story