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यूक्रेन संकट का असर दुनिया भर के पड़ा शेयर बाजारों पर उच्चतम स्तर पहुंचा

Teja
22 Feb 2022 8:37 AM GMT
यूक्रेन संकट का असर दुनिया भर के पड़ा शेयर बाजारों पर उच्चतम स्तर पहुंचा
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रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine Crisis) के बीच विवाद बढ़ने से तेल आपूर्ति में बाधा की आशंकायें तेज हो गयीं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine Crisis) के बीच विवाद बढ़ने से तेल आपूर्ति में बाधा की आशंकायें तेज हो गयीं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सात साल के उच्चतम स्तर 98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. अंतराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट कच्चा तेल (Brent Crude Oil) मंगलवार को 98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया जबकि इससे पहले इसके दाम 91 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थे.

सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है और साथ ही वह प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा उत्पादक है. तेल बाजार में रूस का दबदबा ही आपूर्ति संकट की आशंका को तेज कर रहा है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने यूक्रेन के उन इलाकों को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया है, जो वहां के विद्रोहियों के कब्जे में थे. Also Read - Share Market LIVE: यूक्रेन के बढ़ते संकट के बीच शेयर बाजार में जोरदार गिरावट, सेंसेक्स 984 अंक नीचे; निफ्टी 17,000 के नीचे
रूस के आक्रामक तेवर को देखते हुए कई पश्चिमी देशों ने उस पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है.
मैन्यूलाइफ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट की सू त्रिन ने कहा कि रूस पर प्रतिबंध लगाने से वह कम कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का निर्यात करेगा जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ेगा.
यूक्रेन में घुसने के लिए रूस ने बनाया स्वतंत्र राज्य
पश्चिमी देशों को आशंका है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके को इसीलिए स्वतंत्र राज्य का दर्जा दिया है ताकि रूस की सेना उसी रास्ते से आधिकारिक रूप से यूक्रेन में घुस सके.
यूक्रेन के दोनेस्क और लुहांस्क इलाके पर रूस समर्थित विद्रोहियों का कब्जा है और ये दोनों स्वघोषित गणराज्य हैं. ये विद्रोही 2014 से ही यूक्रेन की सेना से लड़ रहे हैं.
यूक्रेन संकट का असर दुनिया भर के शेयर बाजारों पर
रूस का नया कदम शांति वार्ता की समाप्ति माना जा रहा है. यूक्रेन संकट का असर दुनिया भर के शेयर बाजारों पर भी दिख रहा है. निवेशक यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की बढ़ती आशंका से चिंतित होकर बिकवाल बन गये हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी कोरोना महामारी और उसके कारण लगाये गये प्रतिबंधों के कारण हुए भारी नुकसान से उबर नहीं पायी है.

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