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सरकार ने खाने के तेल की बढ़ती कीमतों पर कहा - घरेलू उत्पादन से देश की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता

Rani Sahu
31 July 2021 8:41 AM GMT
सरकार ने खाने के तेल की बढ़ती कीमतों पर कहा - घरेलू उत्पादन से देश की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता
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देश में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि होने की बात स्वीकार करते हुए सरकार ने कहा कि घरेलू उत्पादन स्थानीय मांग को पूरा करने में असमर्थ है

देश में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि होने की बात स्वीकार करते हुए सरकार ने कहा कि घरेलू उत्पादन स्थानीय मांग को पूरा करने में असमर्थ है और कमी को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. ग्रामीण विकास तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों की कीमतें अन्य बातों के साथ-साथ मांग और आपूर्ति में असंतुलन, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि, प्रतिकूल मौसम के कारण घरेलू उत्पादन में कमी, परिवहन लागत में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला की बाध्यताओं आदि से प्रभावित होती हैं.
अपनी जरूरतों का 70 प्रतिशत भारत करता है आयात
साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि वर्ष के दौरान मूंगफली तेल, सरसों तेल, वनस्पति, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पामोलिन की खुदरा घरेलू कीमतों (23 जुलाई 2021 की स्थिति के अनुसार) में क्रमशः 19.16, 39.05, 44.65, 47.40, 50.16 और 44.51 प्रतिशत की वृद्धि हुई. उन्होंने कहा कि देश में खाद्य तेलों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए सरकार ने कच्चे पाम तेल पर शुल्क में पांच प्रतिशत की कमी की है जो 30 सितंबर, 2021 तक प्रभावी रहेगा.
भारत अपनी कुल खाने के तेल की जरूरतों का लगभग 70 प्रतिशत आयात करता है. तिलहन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. इस साल कृषि मंत्रालय ने कई राज्यों के किसानों को मुफ्त तिलहन बीज का वितरण किया था. वहीं तिलहन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए तमाम योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.
दाम कम करने के लिए सरकार उठा रही कदम
वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में राज्यसभा में ही खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने खाद्य तेल की बढ़ी हुई कीमतों को कम करने के लिए किए जा रहे सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 'खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने के लिए, कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर शुल्क में 30 जून 2021 से 30 सितंबर 2021 तक 5 प्रतिशत की कटौती की गई है. इस कमी ने सीपीओ पर प्रभावी कर की दर को पहले के 35.75 प्रतिशत से घटाकर 30.25 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा, रिफाइंड पाम तेल/पामोलिन पर शुल्क 45 प्रतिशत से घटाकर 37.5 प्रतिशत कर दिया गया है.'
चौबे ने बताया कि रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड (आरबीडी) पाम तेल और आरबीडी पामोलिन के लिए एक संशोधित आयात नीति 30 जून, 2021 से लागू की गई है, जिसके तहत इन वस्तुओं को प्रतिबंधित से मुक्त श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया है.


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