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नई दिल्ली, (आईएएनएस)। भारतीय गेमिंग क्षेत्र के हितधारकों ने मंगलवार को ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के तमिलनाडु कैबिनेट के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक करार दिया, जो अंतत: केवल जुआ संचालकों को लाभान्वित करेगा और तेजी से बढ़ते क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित करेगा।
एक विविध गेमिंग और स्पोर्ट्स मीडिया कंपनी नजारा टेक्नोलॉजीज ने राज्य सरकार द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अध्यादेश पारित करने के बाद अपने स्टॉक को बिकवाली दबाव में देखा। कंपनी के शेयर 2 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ 665 रुपये पर बंद हुए।
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लैंडर्स ने कहा कि यह निर्णय निराशाजनक है क्योंकि यह छह दशकों के स्थापित कानूनी न्यायशास्त्र और मद्रास हाईकोर्ट के हालिया फैसले की भी अवहेलना करता है जिसने इसी तरह के कानून को खत्म कर दिया।
लैंडर्स ने एक बयान में कहा, आश्चर्य की बात यह है कि मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार पहले ही अपील कर चुकी है और सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस पर नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करने के बजाय और इस बीच, अपने स्वयं के हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट निर्णय का सम्मान करते हुए, उन्होंने एक और असंवैधानिक निर्णय लिया है जो अंतत: केवल ऑनलाइन जुआ ऑपरेटरों को लाभान्वित करेगा।
मद्रास उच्च न्यायालय ने रमी और दांव के साथ पोकर जैसे ऑनलाइन गेम पर राज्य के प्रतिबंध को हटा दिया था और तमिलनाडु सरकार ने तब सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी।
राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि किशोर और युवा ऑनलाइन गेम में लिप्त होकर अपनी पूरी कमाई और बचत खो रहे हैं।
अपनी याचिका में इसने यह भी कहा कि रम्मी को जहां कौशल वाला खेल माना जा सकता है, वहीं दांव लगाकर यह जुए में बदल गया है।
गेमिंग उद्योग को अब अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है। यह आगामी क्षेत्र देश में लाखों नौकरियां पैदा कर सकता है। कई गेमिंग स्टार्टअप फर्मो से अगले कुछ वर्षो में विकास का समर्थन करने के लिए काम पर रखने की योजना को मजबूत करने की उम्मीद है।
वर्तमान में, भारत में 400 से अधिक गेमिंग कंपनियां हैं जिनमें इंफोसिस लिमिटेड, हाइपरलिंक इंफोसिस्टम, एफजीफैक्टरी और जेनसर टेक्नोलॉजीज शामिल हैं।
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