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अगले हफ्ते श्रीलंका (Sri Lanka) सरकार की एक अहम परीक्षा होने जा रही है. दरअसल अगले हफ्ते तय होगा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अगले हफ्ते श्रीलंका (Sri Lanka) सरकार की एक अहम परीक्षा होने जा रही है. दरअसल अगले हफ्ते तय होगा कि श्रीलंका डिफॉल्टर (Defaulter) घोषित होगा या उसको कुछ समय की राहत मिलेगी. दरअसल साल 2022 में श्रीलंका को कई तरह के कर्ज की अदायगी करनी है. लेकिन स्थिति ये है कि सरकारी खजाना पूरी तरह से खाली हो चुका है. कोविड और आयात बिल बढ़ने से देश में महंगाई (Inflation) एक नये स्तर पर पहुंच गयी है. जानिये फिलहाल किस स्थिति में है श्रीलंका और कितनी तगड़ी है महंगाई की मार
कितना करना है भुगतान
रेटिंग एजेंसी फिच ने पिछले माह ही जानकारी दी कि ''श्रीलंका सरकार को जनवरी 2022 में 50 करोड़ डॉलर के अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड का भुगतान करना है। उसके बाद जुलाई 2022 में भी उसे एक अरब डॉलर के एक अन्य अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड को चुकाना है.''वहीं रॉयटर्स की खबर के अनुसार श्रीलंका को 50 करोड़ डॉलर के इंटरनेशनल सॉवरेन बॉन्ड की अदायगी 18 जनवरी को करनी है.अगर श्रीलंका इसे नहीं चुका सका तो वो डिफॉल्टर घोषित हो जायेगा.
महंगाई नये रिकॉर्ड स्तरों पर पहुंची
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से जमीन पर आ गई है वहीं महंगाई आसमान पर है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार स्थिति ये है कि 100 ग्राम हरी मिर्च की कीमत 71 श्रीलंकाई रुपये हो गई है. आलू 200 रुपये किलो मिल रहा है. दूध का पाउडर करीब 13 प्रतिशत महंगा हो गया है, स्थिति ये है कि अब पैकेट सौ-सौ ग्राम में मिल रहा है जिससे लोग उसे खरीद सकें. एक महीने में खाने पीने की चीजें 15 प्रतिशत तक महंगी हो गई है. सिर्फ 4 महीने में रसोई गैस की कीमत 80 प्रतिशत बढ़ चुकी है.चावल और आटा 100 से 150 श्रीलंकाई रुपये किलो, नारियल का तेल 450 से 500 रुपये प्रति 750 एमएल, दालें 250 से 300 रुपये किलो के बीच पहुंच गई हैं. महंगाई की स्थिति ये है कि विश्व बैंक ने अनुमान दिया है कि मौजूदा परिस्थितियों में श्रीलंका के 5 लाख से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंच सकतें हैं. वहीं आने वाले दो महीनों में स्थिति के और बिगड़ने की संभावना जताई गई है किसानों ने अगले दो महीनों के दौरान देश में खाद्यान्न की कमी की चेतावनी दी है.
क्यों बिगड़ी स्थिति
श्रीलंका की स्थिति के बिगड़ने में कोरोना संकट, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और खुद श्रीलंका सरकार के एक फैसले की वजह से है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मई में इस द्वीपीय देश के कृषि क्षेत्र को 100 प्रतिशत जैविक बनाने के लिए रासायनिक उर्वरकों के आयात पर रोक लगाने का आदेश दिया था. जिससे किसानों की लागत बढ़ी लेकिन उत्पादन घटने की आशंका बन गई. इसी वजह से श्रीलंका में फैसले का विरोध कर रहे किसानों ने खेती बंद कर दी और सब्जियों की कीमतें हाल के हफ्तों में काफी बढ़ गई. सरकार ने अब अपने फैसले में छूट का ऐलान किया है. वहीं भुगतान संकट की वजह से आयात पर असर पड़ने से भी कीमतें बेलगाम हो गई हैं.
भारत से मदद की उम्मीद
श्रीलंका पर कर्ज का अधिकांश हिस्सा चीन, भारत और जापान का है. श्रीलंका ने लगभग सभी आवश्यक वस्तुओं का संकट पैदा हो गया है. ऐसे में द्वीपीय देश ने भारत से वस्तुओं के आयात के लिए एक अरब डॉलर का कर्ज मांगा है. श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर अजित निवार्ड कैब्राल ने जानकारी देते हुए कहा कि श्रीलंका अपने लोन रीस्ट्रक्चरिंग के प्रयास के तहत चीन से एक और कर्ज के लिए बातचीत कर रहा है. हालांकि, कर्ज की राशि अभी तय नहीं की गई है. वहीं उन्होंने कहा कि श्रीलंका सामान आयात करने के लिए भारत के साथ एक अरब डॉलर के ऋण को लेकर बातचीत कर रहा है. इससे श्रीलंका को अपने ऋण भुगतान में मदद मिलने के साथ दोनों देशों के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. श्रीलंका के सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत से एक अरब डॉलर का ऋण खाद्य आयात तक ही सीमित रहेगा
फिच ने घटाई श्रीलंका की रेटिंग
वहीं रेटिंग एजेंसी फिच ने श्रीलंका की सॉवरेन रेटिंग को घटाकर 'सीसी' करते हुए कहा है कि इसकी बिगड़ती बाह्य तरलता स्थिति की वजह से आने वाले महीनों में कर्ज न चुकाने की आशंका बढ़ सकती है. फिच रेटिंग्स ने कहा है कि श्रीलंका की सरकार के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने से आने वाले साल में बाह्य ऋण देनदारियों को पूरा कर पाना खासा मुश्किल होगा. यह सिलसिला वर्ष 2023 तक भी जारी रह सकता है. फिच ने कहा कि श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार भी बहुत तेजी से घटा है जो आयात व्यय बढ़ने और श्रीलंकाई केंद्रीय बैंक के विदेशी मुद्रा संबंधी हस्तक्षेप का मिश्रित परिणाम है. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के बाद से ही दो अरब डॉलर कम हो चुका है
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