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मई महीने में प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्र का उत्पादन, जिसे प्रमुख क्षेत्र (कोर सेक्टर ) के रूप में जाना जाता है, 4.3 प्रतिशत बढ़ा है। 8 क्षेत्रों में से 5 क्षेत्रों में तेजी और ज्यादा आधार के असर के बीच यह वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछले साल मई महीने में प्रमुख क्षेत्र में 19.3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। अप्रैल 2023 में वृद्धि का संशोधित अनुमान 4.3 प्रतिशत था, जबकि पहले 3.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक उर्वरकों की वृद्धि दर (9.7 प्रतिशत), स्टील (9.2 प्रतिशत), कोयला (7.2 प्रतिशत), रिफाइनरी उत्पाद (2.8 प्रतिशत) और सीमेंट (15.5 प्रतिशत) के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है।
वहीं बिजली उत्पादन (-0.3 प्रतिशत), कच्चा तेल (-1.9 प्रतिशत) और प्राकृतिक गैस उत्पादन (-0.3 प्रतिशत) में मई महीने में संकुचन जारी रहा है। इसकी वजह से कुल मिलाकर उत्पादन नीचे आया है।
इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सीमेंट के उत्पादन में लगातार दूसरे महीने दो अंक की वृद्धि दर और स्टील के उत्पादन में तेज वृद्धि से निर्माण क्षेत्र में तेज बढ़ोतरी का पता चलता है।
इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सीमेंट और स्टील में लगातार तेजी की प्रमुख वजह सरकार द्वारा किया जा रहा व्यय है।
उन्होंने कहा, ‘जून में केंद्र सरकार ने राज्यों को हस्तांतरण में अतिरिक्त किस्त दी है, जिससे वे पूंजीगत व्यय बढ़ा सकें। साथ ही उन्हें व्यय बढ़ाने के लिए कर्ज भी दिया गया है।’
मई महीने में लगातार तीसरे महीने में बिजली उत्पादन में कमी आई है। मुख्य रूप से यह पिछले साल के समान महीने में 23.5 प्रतिशत के उच्च आधार के कारण हुआ है। हालांकि इस साल मई महीने में पिछले माह की तुलना में बिजली की मांग बढ़ी है।
सबनवीस ने कहा , ‘उर्वरकों का उत्पादन पिछले महीने की तुलना में कम हुआ है लेकिन इसमें अगले 2 महीनों तक तेजी बने रहने की संभावना है, जिससे कि खरीफ की बुआई की मांग पूरी की जा सके। बहरहाल तेल बॉस्केट वृद्धि में कमी के साथ लगातार निराश कर रहा है और प्राकृतिक गैस व रिफाइनरी उत्पादों का प्रदर्शन तुलनात्म रूप से बेहतर नहीं है, जिसकी निर्यात में हिस्सेदारी होती है।’
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 8 प्रमुख उद्योगों का अधिभार 40.27 प्रतिशत होता है और इस तरह सूचकांक पर इनका असर अधिक होता है।
नायर ने कहा, ‘प्रमुख क्षेत्रों की वृद्धि स्थिर बनी हुई है, लेकिन ज्यादातर उच्च संकेतकों के प्रदर्शन में अप्रैल 2023 की तुलना में मई 2023 में सुधार हुआ है। इसकी वजह से मई 2023 में आईआईपी वृद्धि दर 4 से 6 प्रतिशत की सीमा में रहने की उम्मीद है।’
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