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बिजनेस। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से शेयर बाजार में मची उठापटक और अडानी समूह से जुड़े मसले को लेकर सेबी ने बड़ा बयान दिया है। सेबी ने अडानी मामले में कहा कि वह बाजार में निष्पक्षता, कुशलता और उसकी मजबूत बुनियाद बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि शेयर बाजार निर्बाध, पारदर्शी, कुशल तरीके से काम करे, जैसा कि अब तक होता रहा है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि पिछले सप्ताह के दौरान एक कारोबारी समूह के शेयरों की कीमत में असामान्य उतार-चढ़ाव देखा गया। बाजार के सुचारू और कुशल तरीके से काम करने के लिए किसी खास शेयरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से निपटने को लेकर सभी निगरानी व्यवस्था मौजूद है। यह व्यवस्था किसी भी शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव होने पर कुछ शर्तों के तहत अपने आप सक्रिय हो जाती है। सभी विशिष्ट मामलों के संज्ञान में आने के बाद नियामक मौजूदा नीतियों के अनुसार उनकी जांच करता है और उचित कार्रवाई करता है।
शेयर बाजारों बीएसई और एनएसई ने अडानी समूह की तीन कंपनियों अडानी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन और अंबुजा सीमेंट्स को अपने अल्पकालिक अतिरिक्त निगरानी उपाय (एएसएम) के तहत रखा है। इसका मतलब है कि 'इंट्रा-डे ट्रेडिंग' के लिए 100 प्रतिशत अपफ्रंट मार्जिन लागू होगा, ताकि इन शेयरों में सट्टेबाजी और 'शॉर्ट-सेलिंग' को रोका जा सके।
दरअसल, शेयर बाजार में अडानी ग्रुप के शेयरों पर अफरातफरी हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद देखी जा रही है जिसमें समूह के खातों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और धोखाधड़ी का दावा किया गया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी समूह के शेयर मौलिक आधार पर अडानी समूह के शेयरों में 85 प्रतिशत तक के गिरावट की संभावना है। ऐसा कंपनी के आसमान छूते वैल्युएशन के कारण है। रिपोर्ट में पिछले कई दशकों में अडानी ग्रुप पर खातों में गड़बड़ी, स्टॉक्स में हेराफेरी और धनशोधन जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
हालांकि, अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कही गई बातों का खंडन करते हुए कहा गया है कि यह रिपोर्ट उचित तरीके से नहीं किया गया है और कंपनी की घोषणाओं को ही कॉपी-पेस्ट कर रिपोर्ट तैयार कर दी गई है। अपने 400 पन्नों के जवाब में गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को भ्रामक बताया है।
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