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मॉनसून से धान की खेती हुई प्रभावित, बुवाई में रिकॉर्ड 46 फीसदी की गिरावट

Gulabi Jagat
27 Jun 2022 7:39 AM GMT
मॉनसून से धान की खेती हुई प्रभावित, बुवाई में रिकॉर्ड 46 फीसदी की गिरावट
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मॉनसून से धान की खेती हुई प्रभावित
मॉनसून की बेरुखी की वजह से इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले धान की खेती (Paddy Farming) के रकबे में भारी गिरावट आई है. यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, तेलंगाना और ओडिशा जैसे धान उत्पादक क्षेत्रों में बारिश बहुत कम हुई है. जिसकी वजह से पिछले साल के मुकाबले धान की बुवाई में 45.62 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. खुद इस बात की तस्दीक केंद्रीय कृषि मंत्रालय कर रहा है. देश में 24 जून तक सिर्फ 19.59 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई है. जबकि इसी अवधि में 2021 में 36.03 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी. यानी पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष 16.44 लाख हेक्टेयर में कम बुवाई हुई है. इसकी बड़ी वजह मॉनसून की बारिश (Monsoon Rain) का कम होना बताया गया है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इसका उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 1-25 जून के दौरान सामान्य से 5 फीसदी कम दर्ज किया गया है. क्योंकि देश में सामान्य 126.9 मिमी के मुकाबले 120.8 मिमी बारिश हुई थी. पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में 327 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो कि सामान्य 260.5 मिमी से 26 फीसदी ज्यादा थी. उत्तर पश्चिम भारत में 52.4 मिमी बारिश हुई थी, जो कि सामान्य 55.3 मिमी की तुलना में 5 फीसदी कम दर्ज की गई थी. मध्य भारत में 89.6 मिमी बारिश हुई थी, जो कि सामान्य 126.2 मिमी से 29 फीसदी कम थी. दक्षिण प्रायद्वीप में 113.5 मिमी बारिश हुई थी, जो कि सामान्य 131.7 मिमी से 14 फीसदी कम थी.
बारिश की सबसे ज्यादा कमी वाले क्षेत्र
पूर्वी यूपी में सामान्य से 80 फीसदी कम बारिश हुई है. यह धान उत्पादक क्षेत्र है.
पश्चिम यूपी में 68 फीसदी कम बारिश हुई है. यह बासमती धान उत्पादन एरिया है.
उत्तराखंड में सामान्य से 62 फीसदी कम बारिश हुई है. यहां का मैदानी क्षेत्र धान उत्पादक है.
धान उत्पादक पश्चिम बंगाल में सामान्य से 40 फीसदी कम बारिश हुई है.
झारखंड में सामान्य से 40 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है.
बिहार में भी धान की खेती होती है. यहां सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है.
हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली में 25 फीसदी कम बारिश हुई है. हरियाणा बासमती का प्रमुख उत्पादक है.
हिमाचल प्रदेश में 46 फीसदी कम बारिश हुई है.
ओडिशा में 31 फीसदी कम बारिश हुई है. यह भी धान उत्पादक क्षेत्र है.
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में 24 फीसदी कम बारिश हुई है.
देश के प्रमुख धान उत्पादक तेलंगाना में सामान्य से 26 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है.
बुवाई में देरी का क्या होगा असर?
मशहूर राइस साइंटिस प्रो. रामचेत चौधरी का कहना है कि धान की खेती बारिश पर आधारित होती है. इसलिए ज्यादातर किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं. कमजोर मॉनसून का कई किस्मों के उत्पादन पर असर दिखाई देगा. खासतौर पर उन पर जो 140 से 145 दिन में होती हैं. कुछ किस्मों अर्ली होती हैं जिनकी देर से रोपाई करने से नुकसान हो सकता है.
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