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केलों की कीमतों में हुआ सुधार
केला एक बारहमासी फल वाली फसल हैं.केला (Bananas)तीनों मौसमों में उगाया जाता हैं हालांकि, इस साल प्रकृति की बेरुखी के कारण केले के बागों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है, लेकिन केले उत्पादकों के लिए असली समस्या घटती दरों (Rates)की हैं.क्यों कि खरीदार तीन से चार रुपये किलो केले नहीं खरीद रहे थे नतीजतन, कई किसानों (Farmers)ने सीधी फसल और अन्य फसल विकल्पों का सहारा लिया और खेती पैटर्न में बदलाव किए प्रकृति की मार और घटती दर के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ा रही थी.सही भाव न मिलने के कारण किसान अपने केले के बाग को नष्ट करने लगे थे. लेकिन अब तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही हैं. जलगाँव के मुख्य बाजार खानदेश क्षेत्र में आवक घटने से केले के दाम 7से 8 रुपये प्रति किलो हो गए हैं इसलिए जिन किसानों ने फसल काट कर कटाई शुरू कर दी है, उन्हें इस बढ़ी हुई दर से फायदा होगा.तो वही किसनों का कहना हैं हमने उम्मीद रखी हैं कि केले के भाव आगे 9 से 10 रुपये प्रति किलो होंगे.
क्या कहना हैं विशेषज्ञों का
एक अच्छी क्वालिटी के केले की कीमत 800 रुपये प्रति क्विंटल होती है.कारोबारियों का कहना है कि यह पिछले कुछ महीनों में सबसे अच्छा रेट हैं.जलवायु परिवर्तन का भी केले के बागों पर प्रभाव पड़ा हैं हालांकि अब धीरे धीरे कीमतों में सुधार हो रहा है और फरवरी से केले का निर्यात शुरू हो जाएगा.जानकरों का कहना हैं कि अब केले की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी का अच्छा समय आएगा इसके अलावा, यह संकटग्रस्त किसानों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि उन्हें निर्यात में उच्च दर मिलेगी.
बदलते मौसम के कारण फल के बागों को हुआ हैं नुकसान
बागों का गणित पर्यावरण पर निर्भर करता हैं इससे पहले सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र अंगूर और आम के बाग थे बढ़ती ठंड ने न केवल केले के बागों को भारी नुकसान पहुंचाया बल्कि केले की कीमत पर भी असर डाला हैं.तो वही बेमौसम बारिश के कारण भी बागों को भारी नुकसान पहुँचा हैं.अब ठंडी कम हो रही हैं.इससे केला उत्पादकों को फायदा होगा कुल मिलाकर अब फसल के दौरान केले के भाव बढ़ने से किसान संतोष व्यक्त करते नज़र आ रहे हैं.ओर कुछ किसानों का कहना हैं कि आगे और भी अच्छे रेट मिलने की उम्मीद हैं.
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