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एनएमपीबी ने आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में देशभर में जड़ी-बूटियों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिये एक राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत की है. इस कदम से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और हरित भारत का सपना पूरा होगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- आयुष मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (नेशनल मेडीसिनल प्लांट्स बोर्ड-एनएमपीबी) ने आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में देशभर में जड़ी-बूटियों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिये एक राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत की है. इस कदम से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और हरित भारत का सपना पूरा होगा. अभियान के तहत, देशभर में अगले एक वर्ष में 75 हजार हेक्टेयर रकबे में जड़ी-बूटियों की खेती की जायेगी. कार्यक्रम की शुरूआत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और महाराष्ट्र के पुणे से की गई है. यह 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अंतर्गत आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का दूसरा कार्यक्रम है.
सरकार ने मुफ्त में बांटे पौधे
पुणे में औषधीय पौधे किसानों को बांटे गये. जो लोग पहले से जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं, उन्हें सम्मानित किया गया. अहमदनगर जिले के पारनेर से विधायक नीलेश लंके, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम) के महानिदेशक डॉ. आसिम अली ख़ान और एनएमपीबी के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सांवल ने भिन्न-भिन्न स्थानों से कार्यक्रमों की अगुवाई की.
डॉ. सांवल ने कहा, "इस प्रयास से देश में औषधीय पौधों की आपूर्ति में और तेजी आयेगी." इस अवसर पर 75 किसानों को कुल मिलाकर 7500 औषधीय पौधे वितरित किये गये. इसके अलावा 75 हजार पौधे वितरित करने का लक्ष्य भी तय किया गया.
सहारनपुर में उत्तर प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धर्म सिंह सैनी, एनएमपीबी के अनुसंधान अधिकारी सुनील दत्त और आयुष मंत्रालय के अधिकारियों ने सम्बंधित कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
उत्तर प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धर्म सिंह सैनी ने जड़ी-बूटियों की खेती करने वाले किसानों को सम्मानित किया. आसपास के कई जिलों से आये 150 किसानों को औषधीय पौधे निशुल्क वितरित किये गये.
पौधों की पांच प्रजातियां वितरित की गईं, जिनमें पारिजात, बेल, नीम, अश्वगंधा और जामुन के पौधे शामिल थे. किसानों को जामुन के 750 पौधे अलग से निशुल्क बांटे गये.
केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा कि औषधीय पौधों के सिलसिले में देश की अपार क्षमता है और 75,000 हेक्टेयर रकबे में जड़ी-बूटियों की खेती से देश में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होगी.
इस कदम से जड़ी-बूटियों की खेती किसानों की आय का बड़ा स्रोत बनेगी. दवाओं की उपलब्धता के मामले में देश भी आत्मनिर्भर होगा. उल्लेखनीय है कि पिछले डेढ़ वर्षों में न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में औषधीय पौधों की मांग में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी देखने में आई है. यही कारण है कि अमेरिका में अश्वगंधा तीसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद बन गया है.
इसके अलावा 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रमों के तहत वाई-ब्रेक एप्प की शुरूआत, रोगों का उपचार करने वाली आयुष दवाओं का वितरण, 'आयुष आपके द्वार' तथा स्कूलों-कॉलेजों के छात्रों के लिये व्याख्यानों का आयोजन शामिल है. वाई-ब्रेक एप्प पर वेबीनार और व्याख्यानों का आयोजन पांच सितंबर को किया जायेगा.
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