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संकटग्रस्त जेपी समूह की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. जेपी एसोसिएट्स का ताजा संकट ये है कि वो उसके द्वारा चुकाए जाने वाली रकम को एक बार फिर जमा करने से चूक गई है. कंपनी कुल 4044 करोड़ रुपये की रकम नहीं चुका पाई. इस 4044 करोड़ रुपये की रकम में 1,660 करोड़ रुपये का मूल और 2,384 करोड़ रुपये की ब्याज की राशि शामिल है. कंपनी ने ये कर्ज कई बैंकों से लिया है.
कितनी है कंपनी की कुल देनदारी
कंपनी ने अलग-अलग बैंको से कोई 29477 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है, जिसे कंपनी को 2037 तक चुकाना है. लेकिन कंपनी अभी तक इस कर्ज का एक बड़ा हिस्सा चुका चुकी है. अभी कंपनी पर 4044 करोड़ रुपये बकाया रह गया है. इसमें 1,660 करोड़ रुपये की मूल राशि और 2,384 करोड़ रुपये के ब्याज की राशि शामिल है. कंपनी ने ये भी जानकारी दी है कि 29,477 करोड़ रुपये की कुल उधारी में से 18,319 करोड़ रुपये की रकम प्रस्तावित विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) में स्थानांतरित करने पर और कम हो जाएंगे, जिसके लिए सभी स्टॉकहोल्डरों का अनुमोदन मिल चुका है लेकिन उस पर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का अनुमोदन बाकी रह गया है. कंपनी ने कहा है कि लगभग सारा कर्ज रिस्ट्रक्चर हो चुका है.
कंपनी सीमेंट कारोबार का करेगी विनिवेश
कंपनी ने समूचे कर्ज को लेकर ये भी कहा है कि वो अपने सीमेंट कारोबार का प्रस्तावित विनिवेश करने जा रही है और उसका पुनर्गठन भी करेगी. इसके बाद लगभग सारा कर्ज शून्य हो जाएगा. जेएएल ने यह भी कहा कि ICICI बैंक ने कंपनी के खिलाफ दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 की धारा 7 के तहत आरबीआई के निर्देश पर NCLT इलाहाबाद से संपर्क किया था. फाइलिंग में कहा गया है, मामला NCLT द्वारा स्वीकृत एसपीवी को अचल संपत्ति के हस्तांतरण की व्यवस्था की योजना के साथ तय होने के लिए बाकी रह गया है.
ICICI और SBI कर चुके हैं NCLT का रूख
सितंबर 2018 में, ICICI बैंक ने JAL के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर की थी. सिर्फ ICICI बैंक ही नहीं देश के सबसे बड़े ऋणदाता एसबीआई ने भी 15 सितंबर, 2022 तक कुल 6,893.15 करोड़ रुपये के डिफ़ॉल्ट का दावा करते हुए जेएएल के खिलाफ एनसीएलटी का रुख किया है. हाल ही में, जेएएल और उसके ग्रुप की कंपनियों ने एक उद्यम में अपनी बाकी सीमेंट संपत्ति डालमिया भारत लिमिटेड को बेचने की घोषणा की है. इससे वो 5,666 करोड़ हासिल कर अपने कर्ज को और कम पाने में सफल होगी. हालाँकि, जयप्रकाश एसोसिएट के खिलाफ कई पक्षों ने एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) का दरवाजा खटखटाया है.
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