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बढ़ी किसानों की मुसीबत, डीजल के बढ़ते दाम और मानसून की बेरुखी ने धान की फसल को किया प्रभावित

Gulabi
13 July 2021 2:42 PM GMT
बढ़ी किसानों की मुसीबत, डीजल के बढ़ते दाम और मानसून की बेरुखी ने धान की फसल को किया प्रभावित
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डीजल के दाम में बेतहाशा वृद्धि और मानसून की बेरुखी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं

डीजल के दाम में बेतहाशा वृद्धि और मानसून (Monsoon) की बेरुखी ने किसानों (Farmers) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है. इस समय खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की रोपाई का वक्त चल रहा है. जिसमें कृषि क्षेत्र को अपेक्षाकृत ज्यादा पानी की जरूरत होती है. इससे बासमती (Basmati) धान वाले क्षेत्र का रकबा भी प्रभावित हो सकता है, जबकि इसके एक्सपोर्ट से देश में डॉलर आता है.

एक तरफ मानसून साथ नहीं दे रहा है तो दूसरी ओर डीजल के दाम में वृद्धि ने मुसीबत खड़ी कर रखी है. पश्चिम यूपी बासमती धान पैदा करने का आधिकारिक क्षेत्र है. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक यहां 1 जून से 13 जुलाई के बीच सामान्य से 48 फीसदी कम बारिश हुई है. इसी तरह हरियाणा में सामान्य से 38, दिल्ली में 65, चंडीगढ़ में 42 और पंजाब में 22 फीसदी कम बारिश हुई है.
डीजल से सिंचाई करना अब किसानों को काफी महंगा पड़ रहा है, क्योंकि दाम में वृद्धि की वजह से पंपसेट से सिंचाई करने का रेट 250 से 260 रुपये प्रति घंटा तक पहुंच गया है. पिछले एक साल में डीजल के दाम (Diesel Price) में लगभग 25 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है.
बारिश में देरी से खराब हुई नर्सरी
बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि आमतौर पर बासमती धान के बेल्ट खासतौर पर पश्चिम यूपी, हरियाणा और पंजाब में 15 जून से 25 जुलाई तक रोपाई का काम खत्म हो जाता है. लेकिन, इस साल यह काम पिछड़ गया है. इससे कई लोगों के यहां धान की नर्सरी खराब हो गई है.
लागत में होगा इजाफा
डॉ. शर्मा के मुताबिक जिन लोगों ने रोपाई कर दी है, उनकी सिंचाई की लागत में इजाफा हो रहा है. क्योंकि उन्हें पंपसेट के जरिए खेत तक पानी पहुंचाना पड़ रहा है. जबकि सामान्य बारिश में ऐसा नहीं होता. इस बार बासमती धान के उत्पादन में 10-15 फीसदी कमी आने का अनुमान है. क्योंकि कुछ एरिया मानसून न आने से डिस्टर्ब होगा और कुछ लोगों ने अच्छा दाम न मिलने की वजह से इस बार धान लगाया नहीं है. जिन लोगों को धान की फसल के बाद आलू लगाना होता है उनमें से 80 फीसदी ने रोपाई कर ली है. जबकि जिन्हें धान के बाद गेहूं की फसल लेनी है उनमें से काफी लोग अभी बारिश का इंतजार कर रहे हैं.
ऐसे में क्या करे किसान
डॉ. शर्मा के मुताबिक अगर धान की नर्सरी या रोपाई के बाद फसल पीली पड़ रही है तो समझिए कि उसमें जिंक की कमी है. इसे खेत में पारंपरिक तरीके से डालने की बजाय दूसरा तरीका अपनाएं. पौधे जिंक को पर्याप्त पानी के साथ ही लेते हैं. ऐसे में जहां पर कम बारिश हुई है या फिर पानी की दिक्कत है वहां के किसान जिंक और यूरिया का घोल स्प्रे कर दें. इससे पोषक तत्व सीधे पौधों को मिलेगा.
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