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इस खरीद फसल सीजन में किसान क्या काम करते हैं आढ़तिया में, जानिए

Admin4
16 Oct 2021 6:00 PM GMT
इस खरीद फसल सीजन में किसान क्या काम करते हैं आढ़तिया में, जानिए
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इस खरीद सीजन में किसान क्या काम करते हैं आढ़तिया में, जानिए

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- हर साल दो खरीद सीजन आता है. एक को खरीफ मार्केटिंग सीजन (KMS) और दूसरे को रबी मार्केटिंग सीजन (RMS) कहते हैं. इन दोनों सीजन में किसानों के बाद जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा होती है, वे होते हैं आढ़तिया. किसानों के बारे में तो आपको पता है कि वे फसल उगाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आढ़तिया करते क्या हैं? अगर आप नहीं जानते तो हम आपको बताने जा रहे हैं इनका काम और क्यों होती है इनकी चर्चा?

फिलहाल जिस प्रक्रिया के तहत देश में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकारी खरीद होती है, उसमें आढ़तियों की भूमिका काफी अहम होती है. अगर ये कहें कि उनके बगैर MSP पर खरीद नहीं हो सकती तो यह गलत नहीं होगा. किसानों के साथ ही खरीद एजेंसियां भी काफी हद तक आढ़तियों पर निर्भर होती हैं.
क्या काम करते हैं आढ़तिया?
दरअसल राज्य सरकारें आढ़तियों को लाइसेंस देती हैं. इन्हें कमीशन एजेंट्स भी कहा जाता है. ये मंडियों में किसानों की फसल उतरवा कर साफ करवाते हैं, तौल करवाते हैं. फसल की बोली लगवाते हैं. पैदावार को तौलवाकर बिकवाते हैं. इसके बदले सरकार से 2.5 फीसदी कमीशन लेते हैं. किसान को फसल लगानी हो या फिर कोई और जरूरत हो उन्हें पैसे भी आढ़तिया मुहैया करवा देते हैं. यहीं कारण है कि किसान इन्हें अपना एटीएम कहते हैं.
कृषि कानूनों के खिलाफ हैं आढ़तिया
पिछले साल केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी. लेकिन इसका पिछले साल से विरोध हो रहा है. पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान इसके खिलाफ हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में किसानों के साथ आढ़तियों की भी भूमिका अहम है.
आढ़तियों को डर है कि इन कानूनों के लागू होने के बाद मंडियां खत्म हो जाएंगी और सरकारी खरीद भी नहीं होगी. इस वजह से उन्हें अपनी भूमिका समाप्त होने का डर सता रहा है. यहीं कारण है कि कमीशन एजेंट्स भी कानूनों का विरोध कर रहे हैं.


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