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सरकार ने फ्री लैपटॉप मोबाइल बांटने पर क्या आम आदमी पर होगा असर जाने डिटेल

Teja
21 Jan 2022 7:04 AM GMT
सरकार ने फ्री लैपटॉप मोबाइल बांटने पर क्या आम आदमी पर होगा असर जाने डिटेल
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सबसे ज्यादा कर्ज महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों ने उठाया है. अब आगे क्या होगा?

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चुनाव से पहले अगर आपकी राज्य सरकार आप पर मेहरबान है तो आपको चिंता करनी चाहिए. चौंकिए मत! यह सच है कि जो फ्री लैपटॉप, मोबाइल और सस्ते पेट्रोल के तोहफे आपको पेश किए जा रहे हैं इसका बिल भी आपके नाम पर ही फटने वाला है. क्योंकि राज्य सरकारें (State Government) कर्ज लेकर आपको रिझाने में जुटी हैं. इस दलील को पुख्ता करने वाले आरबीआई (RBI) के आंकड़े इसी हफ्ते जारी हुए हैं, जो बता रहे हैं कि राज्य सरकारों को मिलने वाले कर्ज की ब्याज दर 11 महीने की ऊंचाई पर है. यह तेजी कर्ज की मांग बढ़ने और निवेशकों की कमी से आई है. बीते हफ्ते कुल 16 राज्यों ने 24234 करोड़ रुपए से ज्यादा जुटाए हैं. ब्याज की औसत दर 7.05 रही. चालू वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक राज्यों ने SDL यानी स्टेट डवलपमेंट लैंडिंग के जरिए कुल 4.66 लाख करोड़ रुपए कर्ज उठाया है.

इन राज्‍यों ने सबसे ज्‍यादा कर्ज उठाया है
सबसे ज्यादा कर्ज महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों ने उठाया है. बहुत संभव है कि आपका होमलोन इससे कम दर पर चल रहा हो. यानी आपकी राज्य सराकारों की माली हालत आप से भी बदतर है.
राज्‍य सरकारों को ही उतारने हैं कर्ज
बता दें कि तय समय के बाद यह कर्ज ब्याज समेत राज्य सरकारों को ही उतारने हैं और उनकी आय का मुख्य स्रोत टैक्स ही है. ऐसे में चिढ़िएगा मत अगर आने वाले दिनों में टोल पर ज्यादा पैसे लगने लगें या बिजली पानी के बिल बढ़कर आने लगे.
ये भी हो सकता है बस का सफर या मकान की रजिस्ट्री महंगी हो जाए. क्योंकि पेट्रोल डीजल और शराब बाद यही मदें हैं जहां राज्य सरकारें टैक्स के चाबुक चलाती हैं. इसलिए हो जाइए सावधान क्योंकि महंगाई बढ़ने वाली है.
आपको बता दें कि सरकार दो तरह से कर्ज़ लेती है इंटर्नल और एक्सटर्नल. अगर आसान शब्दों में कहें तो भीतरी कर्ज जो देश के भीतर से होता है और बाहरी कर्ज जो देश के बाहर से लिया जाता है. आंतरिक कर्ज बैंकों, बीमा कंपनियों, रिजर्व बैंक, कॉरपोरेट कंपनियों, म्यूचुअल फंडों आदि से लिया जाता है.
बाहरी कर्ज मित्र देशों, आईएफएम विश्व बैंक जैसी संस्थाओं, एनआरआई आदि से लिया जाता है. विदेशी कर्ज का बढ़ना इसलिए अच्छा नहीं माना जाता, क्योंकि इसके लिए सरकार को अमेरिकी डॉलर या अन्य विदेशी मुद्रा में चुकाना पड़ता है.


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