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किसान 2 लाख रुपए खर्च कर हल्दी के इस किस्म की खेती से कमा रहे हैं 14 लाख रुपये

Admin4
20 Aug 2021 3:32 PM GMT
किसान 2 लाख रुपए खर्च कर हल्दी के इस किस्म की खेती से कमा रहे हैं 14 लाख रुपये
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किसान 2 लाख रुपए खर्च कर के इस किस्म की खेती से 14 लाख रुपए कमा रहे हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- हल्दी भारतीय थाली का एक महत्वपूर्ण अंग है. इसका इस्तेमाल सिर्फ किचन या खाने के काम में नहीं बल्कि आयुर्वेद में दवा के रूप में भी किया जाता है. साथ ही साथ, यह हमारे संस्कृति से भी जुड़ी हुई है और शुभ कार्यों में इसका विशेष महत्व है. अगर हम कहें कि हल्दी औषधीय गुणों और धार्मिक महत्व वाली की चीज है तो यह गलत नहीं होगा. इन तमाम बातों की वजह से ही इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है और खेती करने वाले किसान अच्छी आमदनी प्राप्त करते हैं.

अब हमारे वैज्ञानिकों ने हल्दी की एक ऐसी किस्म विकसित की है जो किसानों को मालामाल कर सकती है. इस किस्म का नाम है, प्रतिभा. हल्दी में सड़न की समस्या आती है. लेकिन प्रतिभा किस्म इस मामले में कमाल की है. इस किस्म की सड़न वाली समस्या न के बराबर है. यहीं कारण है कि कुछ किसान 2 लाख रुपए खर्च कर के इस किस्म की खेती से 14 लाख रुपए कमा रहे हैं.
मसाला अनुसंधान संस्थान ने किया है तैयार
केरल के कोझिकोड शीत भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान ने इसे तैयार किया है. हल्दी जगत में जो प्रतिभा किस्म की प्रतिष्ठा है, वो शायद किसी और किस्म की नहीं है. आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान हल्दी की प्रतिभा किस्म की खेती कर रहे हैं.
राज्य के विजयवाड़ा में किसान चंद्रशेखर आजाद को हल्दी की प्रतिभा किस्म ने नाम और दाम दोनों दिए हैं. डीडी किसान की रिपोर्ट के मुताबिक, इस इलाके में इस किस्म की बुवाई चंद्रशेखर आजाद ने ही शुरू की थी. कई साल की मेहनत के बाद वे 2 लाख रुपए लगाकर हल्दी की प्रतिभा किस्म की खेती से 14 लाख रुपए कमा रहे हैं.
प्रतिभा किस्म की खेती से हुई इस जबरदस्त कमाई से ही उन्हें आंध्र प्रदेश में हल्दी की खेती का उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है. दरअसल, विजयवाड़ा में हल्दी प्रमुख फसलों में गिनी जाती है और यहां के किसान इसकी जमकर खेती करते हैं.
इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी
यहां आम तौर पर दुग्गीराला, कडप्पा, अरमूर और टेकुरपेटा जैसी स्थानीय किस्में बोने का रिवाज है. किसानों को इन किस्मों की खेती से ज्यादा फायदा नहीं मिलता था और बीमारियों की समस्या भी ज्यादा थी. तभी विजयवाड़ा में नए किस्म प्रतिभा की एंट्री हुई और देखते ही देखते यह किसानों की पसंदीदा किस्म बन गई.
अगर आपको अच्छी कमाई करनी है तो फिर जरूरी बातों का खयाल रखना होगा. विजयवाड़ा के किसान जल्द पकने वाली फसल बो रहे हैं और बेहतर जल निकासी की व्यवस्था कर रहे हैं. साथ ही अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की रोपाई कर रहे हैं. इससे बीज वाली गांठों की मांग लगातार बढ़ रही है. यहां के किसान मेड और खांचा विधि से खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है.
फसल बढ़वार और पोषण प्रबंधन के लिए सुपर फॉस्फेट, वर्मी कम्पोस्ट, गन्ना फिल्टर केक, जैव सुधारक और जैव उर्वरकों का उपयोग किया जा रहा है. कंदों की खुदाई बैलों से हो रही है. साफ की गई गांठों को बड़े-बड़े बॉयलर में उबालने के बाद 20 दिनों तक धूप में सुखाया और फिर मेकेनिकल पॉलिशर की मदद से इसे पॉलिश किया जा रहा है.


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