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कर्मचारी की मौत के बाद भी परिवार को मिल सकती हैं पेंशन, जानें क्या हैं EPFO के फायदे

Renuka Sahu
20 Aug 2021 4:44 AM GMT
कर्मचारी की मौत के बाद भी परिवार को मिल सकती हैं पेंशन, जानें क्या हैं EPFO के फायदे
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फाइल फोटो 

कई लोगों ने कोरोना के दौरान अपने प्रियजनों को खो दिया है. ऐसे में जिन परिवारों ने अपने कमाऊ सदस्य खो दिया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कई लोगों ने कोरोना के दौरान अपने प्रियजनों को खो दिया है. ऐसे में जिन परिवारों ने अपने कमाऊ सदस्य खो दिया है उनके लिए खासा नुकसान हुआ है. नुकसान से निपटने के लिए आश्रितों की ओर से हस संभव प्रयास किया जा रहा है. कई लोग जानकारी के अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. ऐसे में लोगों के लिए यह जानकारी जरूरी है कि वह इन परिस्थियों में क्या करें कि उन्हें लाभ मिले और जिंदगी का गुजारा अच्छे से हो.

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ): ईपीएफ में नॉमिनी के तौर पर जुड़े लोग खाते की राशि को लेकर दावा कर सकते हैं. ऐसे में कई बार देखा गया है कि कर्माचारी जानकारी के अभाव में नॉमिनी को नहीं जोड़ पाते हैं. इस स्थिति में इस राशि के लिए कानूनी उत्तराधिकारी अपना दावा ठोक सकता है.
बता दें कि पहले, नॉमिनी को मृत्यु के दावे के लिए फॉर्म 20, फॉर्म 10डी और फॉर्म 5 (आईएफ) जमा करना पड़ता था. लेकिन अब ईपीएफओ ने मृत्यु के दावों के लिए मृत्यु के मामलों में सभी दावा फॉर्म पेश किया है,"
कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत पेंशन: यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके पति या पत्नी को पेंशन दी जाएगी. ''ईपीएस नियमों के अनुसार, एक ईपीएस सदस्य की मृत्यु पर एक पति या पत्नी और दो बच्चों को पेंशन मिलेगी. हालांकि बच्चों की आयु 25 वर्ष से कम होनी चाहिए और 25 वर्ष की आयु तक विधवा की पेंशन का 25% प्राप्त होगा,"
कर्मचारी जमा-लिंक्ड बीमा (ईडीएलआई): ईडीएलआई के तहत न्यूनतम लाभ ₹2.5 लाख है, और अधिकतम ₹7 लाख है, भले ही कर्मचारी का वेतन कुछ भी हो। सभी ईपीएफ सदस्य ईडीएलआई के लिए पात्र हैं और नियोक्ता इसमें योगदान देता है।
कर्मचारी जमा-लिंक्ड बीमा (ईडीएलआई): ईडीएलआई के तहत कर्माचारी के परिजन को न्यूनतम 2.5 लाख रुपये और अधिकतम 7 लाख रुपये मिलते हैं. इस लाभ के लिए यह मायने नहीं रखता है कि कर्मचारी का वेतन कितना है. सभी ईपीएफ सदस्य ईडीएलआई के लिए पात्र होते हैं. इसके लिए कंपनी की ओर से कंट्रिब्यूशन राशि दी जाती है.
इसके अलावा अन्य देय राशि जैसे वेतन लाभ, वैधानिक बोनस, आदि का भुगतान नॉमिनी को किया जाएगा. नॉमिनी के अभाव में यह सहायता कानूनी रूप से वारिस परिजन को मिलता है.


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