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खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट को बजट से काफी उम्मीदें घोषणाओं रहेगी नजर

Teja
10 July 2022 8:30 AM GMT
खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट को बजट से काफी उम्मीदें घोषणाओं रहेगी नजर
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बजट 2022 (Budget 2022) की तैयारी अपने अंतिम चरण में है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बजट 2022 (Budget 2022) की तैयारी अपने अंतिम चरण में है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार की चुनौतीपू्र्ण बजट पेश करेंगी. ऑटो सेक्टर को इस बजट (Auto sector budget expectations) से काफी उम्मीदें हैं. कोरोना काल में ऑटो सेक्टर पर लॉकडाउन और चिप शॉर्टेज की दोहरी मार पड़ी है. ऐसे में यह सेक्टर सरकार से काफी उम्मीदें कर रहा है. खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट (Electric Vehicles) को सरकार से काफी उम्मीदें हैं. सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने पिछले दिनों अपनी बजट मांग पत्र में कहा था कि सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र को दिये जाने वाले कर्ज को प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत (priority lending) लाना चाहिए. साथ ही बैटरी के विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public Private Partnership) में अनुसंधान एवं विकास को लेकर पर्याप्त कोष का आवंटन किया जाना चाहिए.

SMEV ने यह भी कहा कि वाहन और वाहनों के कलपुर्जों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI Scheme) योजना में संशोधन करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके मौजूदा स्वरूप में छोटे और मझोले आकार की इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता कंपनियों को कीमत के मोर्चे पर बेजा नुकसान हो रहा है. संगठन ने एक बयान में कहा, ''सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) के लिए एक मजबूत परिवेश बनाने और ईवी बाजार को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र को दिये जाने वाले कर्ज को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रख सकती है. इससे नागरिकों को कम ब्याज दर पर ईवी खरीदने में मदद मिलेगी.''
बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए R&D पर करना होगा खर्च
एसएमईवी ने बैटरी विनिर्माण को लेकर अनुसंधान एवं विकास पर जोर देते हुए कहा, ''जब तक हम ईवी बैटरी पर गंभीरता से काम नहीं करते, हमारी स्थिति अगर बहुत खराब नहीं हुई, तो भी यह कच्चे तेल पर निर्भरता जैसी जरूर हो जाएगी.'' संगठन के बयान के अनुसार, अनुसंधान का मौजूदा स्तर ठोस नहीं है. सरकार ईवी बैटरी के विकास को लेकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी में अनुसंधान एवं विकास (Research and Development) के लिए पर्याप्त धन आवंटित कर सकती है.
बैंकों के पास ईवी के लिए 40 हजार करोड़ लोन की क्षमता
इधर नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट इंडिया (आरएमआई) ने शुक्रवार को एक संयुक्त रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया कि भारत में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के पास इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 2025 तक 40,000 करोड़ रुपए का कर्ज देने की क्षमता है. वहीं 2030 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उनका कर्ज 3.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है.
EV के लिए फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन का रोल अहम
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों और NBFC द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए प्रदान किए जाने वाले लोन को रिजर्व बैंक की प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को लोन (Priority Sector Lending) के दिशा निर्देशों में शामिल किया जाना चाहिए. इस रिपोर्ट के बारे में नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ाने में वित्तीय संस्थान अहम भूमिका निभा सकते हैं.


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