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देश में भले ही अभी मॉनसून ने दस्तक दी हो लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियों ने आगामी त्योहारी सीजन को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इस कड़ी में अध्ययन ये कहता है कि अगर जून के आंकड़ों को देखें तो ई कॉमर्स में 25 प्रतिशत और क्विक कॉमर्स में 35 कर्मचारियों की ज्यादा जरूरत पड़ी है. इसी को देखते हुए अब अमेजन फिल्पकॉर्ट जैसी कंपनियों ने त्योहारी सीजन के लिए तैयारियां करना शुरु कर दिया है जिससे उनका उस समय परफॉरमेंस बेहतर रहे और वो अच्छी सेल कर सकें.
क्या कहता है ये अध्ययन
टास्कमो गिग इंडेक्स के इस अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2022 के जून में 40-45 मिलियन कांट्रैक्ट कर्मचारियों की जरूरत पड़ी थी जबकि इस साल मई 2023 में 200 मिलियन कांट्रैक्ट कर्मचारियों की मांग पैदा हुई है. कर्मचारियों की ई-कॉमर्स, क्विक कॉमर्स, फिनटेक और एफएमसीजी कंपनियों ने पिछले साल से सबसे ज्यादा मांग की. साल दर साल इनकी मांग में इजाफा बताता है कि इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है.
क्या बोले कंपनी के फाउंडर
प्रशांत जनाद्रि, टास्कमो के सह-संस्थापक ने कहा कि मौजूदा तकनीकी प्रगति और उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं के कारण इस क्षेत्र में कई तरह का रोजगार पैदा हुआ है. उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, विशेष रूप से ऑनलाइन शॉपिंग और डिलीवरी सेवाओं को अपनाने में वृद्धि के साथ-साथ इससे पैकेज डिलीवरी, लास्ट-मील लॉजिस्टिक्स और गोदाम संचालन जैसे क्षेत्रों में कांट्रैक्ट श्रमिकों की मांग में बढ़ोतरी हुई है. साल-दर-साल (YoY) के अनुसार देखें तो इनकी भर्ती में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और टेली-कॉलर्स में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
कई और कंपनियों में भी बढ़ी है इनकी मांग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनी का अध्ययन कहता है कि ब्रिटानिया और आईटीसी जैसी एफएमसीजी कंपनियों में कांट्रैक्ट नौकरियों की मांग साल दर साल 8 फीसदी बढ़ी है. फिनटेक और क्विक कॉमर्स, एडटेक और फूड टेक ने विभिन्न प्लेटफार्मों पर गिग श्रमिकों के लिए क्रमशः 6 प्रतिशत, 5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की मांग देखने को मिली है. टास्कमो ने कहा कि कांट्रैक्ट इकॉनमी में युवाओं की भागीदारी साल-दर-साल 20 फीसदी बढ़ी और अब यह 68 फीसदी तक जा पहुंची है. जैसे-जैसे कांट्रैक्ट की अवधारणा को व्यापक स्वीकृति मिल रही है, युवाओं की भागीदारी में वृद्धि हो रही है, जो कांट्रैक्ट जॉब भूमिकाएँ लेना पसंद कर रहे हैं. गिग व्यक्तियों को उनकी वास्तविक क्षमता, प्रतिभा और प्राथमिकताओं का पता लगाने में मदद करता है. जनाद्री ने कहा, युवा पीढ़ियां भी विभिन्न अवसरों की खोज के लिए अधिक खुली हैं.
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