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मानसून में देरी से खरीफ फसलों की बुआई में हो रही देरी

Tara Tandi
20 Jun 2023 12:49 PM
मानसून में देरी से खरीफ फसलों की बुआई में हो रही देरी
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इस खरीफ सीजन में खरीफ फसलों की बुआई के लिए किसान मानसून का इंतजार कर रहा है। लेकिन मानसून में देरी से धान, दलहन और तिलहन की बुआई प्रभावित हो रही है। केरल में मानसून ने देर से दस्तक दी है और मानसून में देरी के चलते पूरे देश में सामान्य से 53 फीसदी कम बारिश हुई है. वहीं, मानसून में देरी अल नीनो की चिंताओं को हवा दे रही है, जिसकी आशंका पहले से जताई जा रही थी। लिहाजा मानसून में देरी से महंगाई के मोर्चे पर चिंता बढ़ रही है.
खरीफ फसलों की बुवाई में देरी
अधिकांश कृषि क्षेत्र में धान, दलहन और तिलहन की बुवाई में 12 दिनों से अधिक की देरी हुई है, जिससे उपज में कमी की आशंका अभी से व्यक्त की जाने लगी है. सोयाबीन की उपज पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है क्योंकि इसकी खेती के लिए सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। दालों की बुवाई मानसून के आने के बाद की जाती है जब खेत में 2 इंच से अधिक पानी हो।
मानसून में देरी पर चिंता
मध्य भारत, जो कृषि का मुख्य केंद्र है, में वर्षा में 55 प्रतिशत की कमी है। दक्षिणी क्षेत्रों में 61 प्रतिशत और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 23 प्रतिशत की कमी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस वर्ष सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है, जबकि मौसम भविष्यवक्ता स्काईमेट ने जुलाई के पहले सप्ताह तक मुख्य कृषि क्षेत्रों में वर्षा में कमी की भविष्यवाणी की है। स्काईमेट ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि उत्तरी और मध्य भारत में इस साल कम बारिश हो सकती है। कई अन्य शोध रिपोर्ट्स का मानना है कि इस साल अल नीनो के प्रभाव से सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं, जिससे खाद्यान्न का उत्पादन घट सकता है.
मानसून में देरी से महंगाई का खतरा
पिछले हफ्ते ही विदेशी ब्रोकरेज हाउस डॉयचे बैंक ने अपने अनुमान में कहा था कि अब तक बारिश सामान्य से 53 फीसदी कम हुई है. दक्षिण पश्चिम मानसून में देरी के कारण खरीफ फसल की बुआई में देरी हो रही है। ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि अगर अल नीनो की आशंका सच निकली तो मानसून में देरी से महंगाई बढ़ने का खतरा है. कमजोर मानसून का असर खरीफ फसलों की बुआई पर देखा जा सकता है. कमजोर मानसून का सबसे बड़ा असर खरीफ की सबसे महत्वपूर्ण फसल धान की खेती पर पड़ सकता है। अल नीनो के कारण देश में सूखा पड़ सकता है जिससे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति पर दबाव पड़ सकता है। और इसका असर खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर पड़ सकता है। खाने-पीने का सामान महंगा हो सकता है।
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