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चीन का कब्जा भारत इस बाजार पर है अब जानिए सरकार नया प्लान

Teja
18 Jan 2022 9:42 AM GMT
चीन का कब्जा भारत इस बाजार पर है अब जानिए सरकार  नया प्लान
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भारतीय स्मार्टफोन बाजार में चीनी कंपनियों का दबदबा है. चीनी ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी 99 फीसद तक पहुंच गई है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर चीनी ब्रांड्स का कब्‍जा सा हो गया है. चीनी स्‍मार्टफोंस ब्रांड्स (Smartphone Brands) की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर अब 99 फीसद तक पहुंच गई है. घाटा खाकर भी ये चीनी कंपनियां भारतीय बाजार को हथिया रही हैं. 1.75 लाख करोड़ रुपए वाले भारतीय स्‍मार्टफोन बाजार पर चीन (China) का कब्‍जा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्‍योंकि वॉल्‍यूम के हिसाब से भारतीय स्मार्टफोन बाजार (Indian Smartphone Market) में चीनी ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी 99 फीसदी हो गई है. आईडीसी के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 15 करोड़ स्‍मार्टफोन बिकते हैं. अब आप भी यह कह सकते हैं कि भारत के स्‍मार्टफोन बाजार पर चीन का एकाधिकार है.

देश के स्मार्टफोन बाजार में चीनी ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी साल 2015 में 32 फीसदी थी. यह 2016 में बढ़कर 47 फीसद, 2017 में 79 फीसद, 2018 में 88 फीसद, 2019 में 97 फीसद और 2020 में बढ़कर 99 फीसद पर पहुंच गई. मतलब भारतीय ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी घटकर 1 फीसद रह गई. ये आंकड़े मार्केट रिसर्च फर्म टेकआर्क ने जुटाए हैं. सैमसंग जैसे दूसरे विदेशी ब्रांड्स को इस एनालिसिस से बाहर रखा गया है.
अब वैल्यू के आधार पर बाजार हिस्सेदारी की बात करें, तो भारतीय स्मार्टफोन बाजार में चीनी ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी साल 2015 में 17.8 फीसद थी. यह अब 2021 में बढ़कर 64.5 फीसद पर जा पहुंची है. और भारतीय ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी घटकर 1.2 फीसद रह गई है. वैल्यू के आधार पर भारतीय ब्रांड्स की हिस्सेदारी साल 2015 में 25.4 फीसद थी. 10 से 30 हजार रुपए वाली श्रेणी में पूरी तरह से चीनी ब्रांड्स का ही कब्‍जा है. भारत में सबसे ज्‍यादा फोन इसी श्रेणी में बिकते हैं.
भारतीय मोबाइल कारोबारियों का कहना है कि चीनी कंपनियां कीमतों में भारी छूट देने के चलते भारत में अपने पैर जमा पाईं. हालांकि, चीनी कंपनियों को इससे भारत में बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा है. उदाहरण के लिए, वीवो को भारत में वित्त वर्ष 2020 में 349 करोड़ रुपये और ओप्पो को 2,203 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
हालांकि, भारत सरकार अब पीएलआई यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के जरिए भारतीय ब्रांड्स को प्रोत्साहन दे रही है. लावा, माइक्रोमैक्स, ओप्टिमस, डिक्सन और यूटीएल जैसी भारतीय कंपनियां पीएलआई स्कीम में हिस्सा ले रही हैं.


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