नवंबर में दोनों पक्षों ने एयरलाइनों का विलय करने की योजना की घोषणा की थी. विस्तारा में टाटा ग्रुप और सिंगापुर एयरलाइंस की 51.49 प्रतिशत हिस्सेदारी है. दोनों पक्षों को यह सौदा मार्च 2024 तक पूरा हो जाने की आशा है.
एयर इण्डिया पूरी तरह टाटा संस के स्वामित्व वाली एयरलाइन है. यह राष्ट्र की प्रमुख एयरलाइन है. टाटा संस ने 27 जनवरी 2022 को एयर इण्डिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. वहीं, विस्तारा अभी टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड का ज्वाइंट वेंचर है. इसकी स्थापना वर्ष 2013 में हुई थी. यह मिडिल ईस्ट, एशिया और यूरोप में अंतर्राष्ट्रीय परिचालन के साथ हिंदुस्तान की प्रमुख फुल-सर्विस एयरलाइन है. टाटा समूह की एयरएशिया इण्डिया में भी 83.67 प्रतिशत हिस्सेदारी है. शेष 16.33 प्रतिशत हिस्सेदारी मलेशियाई समूह एयरएशिया के पास है. नवंबर में दोनों पक्षों ने एयरलाइनों का विलय करने की योजना की घोषणा की थी. विस्तारा में टाटा ग्रुप और सिंगापुर एयरलाइंस की 51.49 प्रतिशत हिस्सेदारी है. विलय सौदे के तहत, सिंगापुर एयरलाइंस ने 25.1 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए एयर इण्डिया की शेयर पूंजी में 2,059 करोड़ रुपये निवेश करने का फैसला लिया है. टाटा ग्रुप के पास शेष हिस्सेदारी बनी रहेगी. दोनों पक्षों को यह सौदा मार्च 2024 तक पूरा हो जाने की आशा है.
राष्ट्रीय एंटीट्रस्ट निकाय विस्तारा के साथ एयर इण्डिया के नियोजित विलय की जांच कर रहा है और कंपनी से पूछा है कि प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं पर आगे की जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए. यह पूर्व सरकारी स्वामित्व वाली एयर इण्डिया के लिए एक नयी चुनौती है, जिसे टाटा समूह ने पिछले वर्ष अपने हाथ में ले लिया था. एयरलाइन के पास अपने बेड़े, परिचालन प्रणालियों और राजस्व प्रबंधन को आधुनिक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना है. टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को भेजा है. टाटा ने अपने आवेदन में बोला है कि विस्तारा (Vistara) और एयर इण्डिया (Air India) के विलय से प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में कोई परिवर्तन नहीं आएगा. यह आवेदन सोमवार को सौंपा गया था.
इससे पहले, सीसीआई ने दोनों एयरलाइंस को नोटिस जारी कर कारण पूछा था कि विलय के असर की जांच क्यों नहीं प्रारम्भ की जानी चाहिए. प्रतिस्पर्धा कानून के अनुसार, सौदे के बारे में संभावित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के बारे में चिंता होने पर एंटीट्रस्ट निकाय के पास विलय या अधिग्रहण के लिए हरी झंडी देने से पहले पूरी तरह से जांच करने की शक्ति है. यदि यह सौदा सफल होता है, तो यह एयर इण्डिया को राष्ट्र की सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय वाहक और दूसरी सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन बना देगा. एयर इंडिया, जिसे टाटा समूह ने पिछले वर्ष अधिग्रहण किया था, अपने बेड़े, परिचालन प्रणालियों और राजस्व प्रबंधन को आधुनिक बनाना चाहता है. ऐसे किसी भी सौदे के लिए सीसीआई की स्वीकृति विभिन्न चरणों से होकर गुजरती है. स्वीकृति का पहला चरण 30 दिनों के भीतर दिया जाता है, जिसमें उसे लगता है कि विलय से प्रतिस्पर्धा कम होने की आसार नहीं है. एक बार जब समीक्षा प्रक्रिया अगले चरण में प्रवेश कर जाती है, तो सीसीआई आगे की समीक्षा के लिए संबंधित हितधारक को एक नोटिस भेजता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा ग्रुप के पास नोटिस का उत्तर देने के लिए 30 दिन का समय है.