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बैड बैंक बनकर हुआ तैयार! आम आदमी पर पड़ेगा सीधा असर, बैंकों को होगा फायदा

Tulsi Rao
28 Dec 2021 3:28 PM GMT
बैड बैंक बनकर हुआ तैयार! आम आदमी पर पड़ेगा सीधा असर, बैंकों को होगा फायदा
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गुड असेट में बदलने का काम करता है. आपको बता दें कि सरकारी बैंकों के 22 खातों में अनुमानित 82,000 करोड़ रुपये का लोन फंसा हुआ है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Bad Bank: सरकारी बैंकों के लिए यह बड़ी खबर है. कर्ज में दुबे बैंकों की हालत सुधारने के लिए नए साल के दूसरे हफ्ते से बैड बैंक अपनी कमान संभालने जा रहा है. दरअसल, इससे कोई भी बैंक एकमुश्त लाभ ले सकेंगे. बैड बैंक किसी भी बैड असेट को गुड असेट में बदलने का काम करता है. आपको बता दें कि सरकारी बैंकों के 22 खातों में अनुमानित 82,000 करोड़ रुपये का लोन फंसा हुआ है.

बैड बैंक से बैंकों की बैलेंस शीट सुधरेगी और उन्हें नए लोन देने में आसानी होगी. इससे देश के सरकारी बैंक एनपीए से मुक्त हो सकते हैं. सबसे खास बात है कि इस बैंक से कोई आम आदमी लेन देन नहीं कर सकेगा. इसमें ना तो आपका खाता खुलेगा और ना ही आप पैसे जमा कर पाएंगे. अब आप सोच रहे होंगे कि फिर ये कैसा बैंक हैं? कोई बात नहीं, हम आपको बताते हैं कि बैड बैंक क्या है? कैसे इसकी शुरुआत हुई और इससे क्या होगा फायदा.
जानिए क्या बैड बैंक?
बैंड बैक एक किस्म की एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ACR) है. इसका काम है कि बैंक से उनके बुरे कर्ज यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) को लेना. सीधे शब्दों में बैड एसेट को गुड एसेट में बदलना. बात ये है कि बैंक किसी आदमी या संस्था को लोन देती है. जब आदमी/संस्था इस लोन को चुकाने में असमर्थ हो जाती है या वह लंबे समय से किस्त देने बंद कर देता है, तो उसे बुरा कर्ज या NPA माना जाता है. लेकिन, बैंक कभी भी अपने पास ऐसा बुरा कर्ज रखना नहीं चाहती हैं. दरअसल, इससे बैंक की बैलेंस शीट खराब होती है. बैंक नए कर्ज देने में भी सक्षम नहीं रहता. बैड बैंक इसी बुरे कर्ज को बैंकों से ले लेगा.
NPA आखिर है क्या?
आरबीआई के नियमों के अनुसार वह संपति जिससे बैंक की कोई आय नहीं होती है, उसे NPA कहा जाता है. हालांकि, इसके लिए 180 दिन की सीमा तय की गई है. यानी अगर कोई लोन 180 दिनों से अधिक ओवरड्यू है, तो वह NPA की श्रेणी में आ जाता है. अभी भारतीय बैंकिंग सिस्टम में कुल NPA करीब 8.5 फीसदी है. आरबीआई का अनुमान है कि मार्च तक यह बढ़कर करीब 12.5 फीसदी हो सकता है.
कहां से आया बैड बैंक?
गौरतलब है कि बैड बैंक की शुरुआत अमेरिका में हुई थी.1980 के दशक में अमेरिकी बैंक कर्ज की वजह से डूबने के कगार पर थे. ऐसे में पहली बार बैड बैंक के कॉन्सेप्ट आया था. इसके अलावा फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल में सालों से बैड काम कर रहे हैं.
कैसे और क्या होंगे फायदे?
बैड बैंक के आने के बाद बड़े पैमाने पर बैंक NPA से मुक्त हो जाएंगे. यानी बैंकों को सीधे तौर पर दो फायदे हो सकते हैं. पहला ये कि इससे बैंक को नए लोन देने में आसानी होगी. और नए निवेश को मौका मिलेगा. इसके अलावा बैंकों की बैलेंस शीट क्लियर हो जाएगी, ऐसे में अगर आगे सरकार को बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करना होगा, तो आसानी रहेगी.


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