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बिहार की सांस्कृतिक विरासत से मंत्रमुग्ध विदेशी दल, नालंदा और महाबोधि मंदिर की भव्यता ने मोहा मन

jantaserishta.com
10 Jun 2025 6:06 AM GMT
बिहार की सांस्कृतिक विरासत से मंत्रमुग्ध विदेशी दल, नालंदा और महाबोधि मंदिर की भव्यता ने मोहा मन
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पटना: बिहार पर्यटन विभाग और विदेश मंत्रालय के सहयोग से विदेशी यात्रियों का एक दल 'बोधियात्रा' के तहत दो दिनों तक नालंदा, गया और बोधगया के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया। मेकांग-गंगा सहयोग कार्ययोजना में शामिल पांच आसियान देशों कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम के 50 सदस्यों के दल ने रविवार को बोधगया के महाबोधि मंदिर, सुजाता स्तूप और मंदिर, डुंगेश्वरी गुफा तथा पत्थरकट्टी का भ्रमण किया।
सोमवार को यह यात्रा दल गेहलौर की दशरथ मांझी घाटी, नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष और राजगीर में नालंदा यूनिवर्सिटी, वेणुवन और शांतिस्तूप का दीदार किया। देश में बुद्धिस्ट स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बोधियात्रा आयोजित की गई है। इसके पूर्व दल दिल्ली, आगरा, लखनऊ, श्रावस्ती, कुशीनगर, बनारस होते हुए बिहार पहुंचा।
बोधि यात्रा में आए दल के सदस्यों ने बोधगया, नालंदा और राजगीर के बौद्ध स्थलों पर पूजा-अर्चना की और नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय के वैभव को जानकर अभिभूत हो गए। यात्रादल ने गया के पत्थरकट्टी में प्राचीन पाषाण कला से संबंधित मूर्तियों की निर्माण कला को वहां के कलाकारों से मिलकर जाना और समझा। ज्ञान भूमि नालंदा और महाबोधि मंदिर की भव्यता देख विदेशी यात्रा दल के सदस्य अभिभूत हो गए।
लोगों ने नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय में गहरी दिलचस्पी दिखाई। इस दल में शामिल सदस्यों ने कहा कि बिहार में बौद्ध संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं और इसे जितना देखा और जाना जाए, उतना ही कम है। यहां आकर बौद्ध अनुयायी अपने आप को भाग्यशाली समझ रहे हैं। इस अवसर पर पर्यटन विभाग के पदाधिकारियों ने उन्हें बिहार भ्रमण के दौरान पूरी जानकारी उपलब्ध कराई। यह दल बिहार के बोधगया, नालंदा व राजगीर बौद्ध स्थलों का भ्रमण कर मंगलवार को वापस लौट जाएगा। उल्लेखनीय है कि बिहार के नालंदा और बोधगया घूमने प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक पहुंचते हैं।
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