लेख

जीना इसी का नाम है…

11 Jan 2024 9:43 AM GMT
जीना इसी का नाम है…
x

सलाह और इलाज के लिए मेरे पास ऐसे बहुत से लोग आते हैं जो खूब महत्त्वाकांक्षी हैं, सफल भी हैं, पर सफल होने के बावजूद वहां नहीं हैं जहां वे होना चाहते हैं। यात्रा अभी जारी है, मनचाही सफलता अभी बाकी है। एक स्पिरिचुअल हीलर के रूप में मैंने जब ऐसे लोगों का विश्लेषण …

सलाह और इलाज के लिए मेरे पास ऐसे बहुत से लोग आते हैं जो खूब महत्त्वाकांक्षी हैं, सफल भी हैं, पर सफल होने के बावजूद वहां नहीं हैं जहां वे होना चाहते हैं। यात्रा अभी जारी है, मनचाही सफलता अभी बाकी है। एक स्पिरिचुअल हीलर के रूप में मैंने जब ऐसे लोगों का विश्लेषण करना शुरू किया और उन्हें ‘समाधि’ की अवस्था में ले गया तो खुद उन्हें बहुत सी बातें समझ में आईं। इसका खुलासा करने से पहले यह बताना आवश्यक है कि स्पिरिचुअल हीलिंग से क्या मतलब है और यह कैसे की जाती है, इसकी प्रक्रिया क्या है? स्पिरिचुअल हीलिंग, यानी, आध्यात्मिक उपचार तीन चरणों में होता है। पहले चरण में व्यक्ति की अपनी नजर में उनकी समस्याओं को समझा जाता है। मनोवैज्ञानिक लोग इसे कॉग्नीटिव बिहेविअर थैरेपी, या सीबीटी का नाम देते हैं। कॉग्नीटिव बिहेविअर थैरेपी दरअसल बातचीत के माध्यम से सामने वाले व्यक्ति के संघर्षों और चुनौतियों को समझ कर उनके व्यवहार में आवश्यक परिवर्तन लाने की सलाह का नाम है। मनोवैज्ञानिक तो सिर्फ सलाह देने के इस चरण तक आकर रुक जाते हैं जबकि स्पिरिचुअल हीलर इसे एक नए आयाम में ले जाता है। सीबीटी की प्रक्रिया के बाद योग निद्रा के उपयोग से व्यक्ति के दिल, दिमाग और शरीर को शांत किया जाता है, शरीर को अत्यंत आराम की अवस्था में ले जाकर दिमाग की चटर-पटर को शांत किया जाता है।

यह आयाम, यह चरण या यह क्रिया एक शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया का सुयोग है जिसमें व्यक्ति असीम शांति का अनुभव करता है। इसके तुरंत बाद स्पिरिचुअल हीलर के मार्गदर्शन में व्यक्ति ‘समाधि’ की अवस्था में चला जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति मानो शक्तिमान सरीखा बन जाता है, जहां उनका अवचेतन मन और सूक्ष्म शरीर मिलकर सारे कार्य संपन्न करते हैं और व्यक्ति चेतन मस्तिष्क के दायरे से बाहर वाले अपने संघर्ष के असली कारण को भी पहचान कर उनका समाधान कर लेता है। इस अवस्था में व्यक्ति इतना निर्मल हो जाता है कि एक संत की तरह वह अपने मन की स्लेट से हर अपराध बोध को, हताशा, निराशा और गुस्से के हर कारण को साफ कर देता है। मन एकदम शांत, स्वच्छ और हल्का हो जाता है। हमारे पास कोई गाड़ी हो तो हम समय-समय पर उसकी सर्विसिंग करवाते हैं। अच्छी सेहत के लिए एक रुटीन के रूप में कई तरह के टैस्ट करवा लेते हैं। शरीर की हाइजीन का, साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं। ‘समाधि’ की प्रक्रिया मानो दिल, दिमाग और आत्मा की सर्विसिंग सरीखी है जहां मन निर्मल हो जाता है, स्वच्छ हो जाता है और अपने मनचाहे लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढऩे के काबिल हो जाता है। यह मैंटल हाइजीन की प्रक्रिया है। एक बात और। हम सब जानते हैं कि सैर करना हमारी सेहत के लिए अच्छा है। हम सब जानते हैं कि जंक फूड हमारे लिए हानिकारक है। हम सब जानते हैं कि समय का सदुपयोग हमारी सफलता का बहुत बड़ा कारक है। ये सारा ज्ञान हमारे चेतन मस्तिष्क में है, इसके बावजूद ज्यादातर लोग इस ज्ञान का लाभ नहीं उठाते और गलत आदतें अपना लेते हैं, हानिकारक आदतें अपना लेते हैं और जीवन भर संघर्षों से घिरे रहते हैं। लेकिन यही ज्ञान जब अंतर्मन में चला जाए, अवचेतन मस्तिष्क में स्थापित हो जाए तो आदमी अपनी आदतें बदल लेता है। यह प्रक्रिया मानो गाड़ी चलाना सीखने के समान है। जब हम कोई वाहन चलाना सीखते हैं तो हमारा ध्यान सडक़ से हटकर बार-बार कभी क्लच की तरफ, कभी गियर की तरफ, कभी स्पीडोमीटर की तरफ जाता रहता है और घर से निकल कर पास वाले बाजार तक भी जाना हो तो गाड़ी से जाने में हमें पंद्रह मिनट लग जाते हैं, जबकि पैदल का रास्ता सिर्फ पांच मिनट का है। गाड़ी चलाना सीख जाएं तो वही रास्ता दो मिनट में पूरा हो जाता है, क्योंकि तब गाड़ी चलाने का सारा ज्ञान बार-बार के अभ्यास के कारण अवचेतन मन में जाकर हमारी याद्दाश्त का हिस्सा बन चुका होता है। किसी भी नए ज्ञान को चेतन मस्तिष्क से अवचेतन मस्तिष्क में ले जाने के लिए लगातार अभ्यास की आवश्यकता होती है, लेकिन ‘समाधि’ की अवस्था में हमें बार-बार के लंबे अभ्यास की आवश्यकता नहीं रहती, दो-चार बार के अभ्यास से ही नया ज्ञान हमारे मन-मस्तिष्क में समाकर हमारी स्मरण शक्ति का हिस्सा बन जाता है और हम लगभग तुरंत उस पर अमल आरंभ कर देते हैं। मैंटल हाइजीन की इस प्रक्रिया के कारण हम अपनी चुनौतियों के असली कारण को पहचान कर उनका बेहतर इलाज कर सकते हैं, अपराधबोध, निराशा, हताशा आदि से छुटकारा पा सकते हैं। परिणाम यह होता है कि जीवन ही बदल जाता है और हम सफलता की सीढिय़ां कदरन तेजी से चढऩे लगते हैं।

स्पिरिचुअल हीलिंग की एक और खासियत यह है कि इसमें किसी दवाई की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए किसी साइड-इफैक्ट का भी डर नहीं है, कोई रिस्क भी नहीं है। यही नहीं, स्पिरिचुअल हीलिंग की पूरी प्रक्रिया ‘ऑनलाइन’ भी संभव है क्योंकि इसमें हीलर को आपकी उंगली भी छूने की जरूरत नहीं होती। ऑनलाइन हीलिंग की सुविधा ने संभावनाओं के कई नए द्वार खोले हैं क्योंकि इससे कहीं आने-जाने की परेशानी खत्म हो गई। आने-जाने में खर्च होने वाले अतिरिक्त धन और समय की बचत हो गई, सडक़ के ट्रैफिक की भीड़ से ही नहीं, सडक़ पर होने वाली दुर्घटनाओं से भी निजात मिल गई और इलाज भी सस्ता हो गया। स्पिरिचुअल हीलिंग प्राचीन भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है, लेकिन गुलामी के दौर में हमारा वह ज्ञान लगभग नष्ट हो गया और हम सिर्फ पश्चिमी शिक्षा से छनकर आई बातों को ही ज्ञान मानने लग गए। स्पिरिचुअल हीलिंग कोई अंधविश्वास नहीं है, जादू टोना या टोटका नहीं है, लेकिन यह आधुनिक मेडिकल साइंस, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का हिस्सा भी नहीं है। यह एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है और इसे व्यापक सामाजिक स्वीकृति मिलना अभी सिर्फ इसलिए बाकी है क्योंकि फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के अपने स्वार्थ हैं और जनसामान्य में इसकी जानकारी ज्यादा नहीं है।

स्पिरिचुअल हीलिंग की दूसरी बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ इलाज ही नहीं है, ट्रीटमेंट ही नहीं है, बल्कि समस्याओं का समाधान भी है, मन की शांति भी है, आध्यात्मिकता की सीढ़ी भी है। डर, हताशा, निराशा, उदासी, क्रोध, अपराध बोध आदि से छुटकारा पाकर व्यक्ति नई स्फूर्ति पा लेता है। इसके साथ ही स्पिरिचुअल हीलिंग आत्मविश्वास बढ़ाने, आत्म सम्मान जगाने, फोकस बढ़ाने में भी बहुत कारगर है जिससे व्यक्ति सफलता की राह पर तेजी से आगे बढ़ सकता है। स्पिरिचुअल हीलिंग की प्रक्रिया में कई दिव्य घटनाओं को घटते हुए देखा गया है जिससे व्यक्ति का संपूर्ण व्यक्तित्व और जीवन, दोनों बदल जाते हैं। बहुत से अनुभवी एलोपैथी चिकित्सकों ने भी स्पिरिचुअल हीलिंग को अपनाया है। यह एक अत्यंत शुभ संकेत है क्योंकि वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति के ज्ञान के कारण चिकित्सक शरीर को तो जानता ही है, स्पिरिचुअल हीलिंग के आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न होकर वह चिकित्सक किसी के भी दिल, दिमाग और आत्मा को इतना शक्तिसंपन्न बना सकता है कि रोगी की जीवन पद्धति ही बदल जाए और वह खुशी से कहे कि हां, जीना इसी का नाम है!

पीके खु्राना

हैपीनेस गुरु

गिन्नीज विश्व रिकार्ड विजेता

ई-मेल: [email protected]

divyahimachal

    Next Story