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आगामी 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की स्थापना के साथ राममंदिर का लोकार्पण एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में किया जाएगा। भगवान श्रीराम के जीवन की सारी घटनाएं विभिन्न रामायणों में वर्णित की गई हैं। देश में प्रचलित कई प्रकार की रामायणों में वाल्मीकि रामायण को सबसे ज्यादा प्रामाणिक माना गया है। इसका …
आगामी 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की स्थापना के साथ राममंदिर का लोकार्पण एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में किया जाएगा। भगवान श्रीराम के जीवन की सारी घटनाएं विभिन्न रामायणों में वर्णित की गई हैं। देश में प्रचलित कई प्रकार की रामायणों में वाल्मीकि रामायण को सबसे ज्यादा प्रामाणिक माना गया है। इसका कारण यह है कि महर्षि वाल्मीकि भगवान राम के समकालीन रहे एवं ज्योतिष विद्या को भी गहराई से जानते थे। इस रामायण में वर्णित कई तथ्यों (घटनाएं एवं तिथियां) जैसे भगवान राम का जन्म एवं स्थान, वनवास, खरदूषण व रावण वध तथा राज्याभिषेक आदि को वैज्ञानिक आधार पर सत्यापित करने हेतु दो प्रयास किए गए जिनमें काफी समानता मिली। भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी एवं भौतिक शास्त्र की गहन समझ रखने वाले डा. पुष्कर भटनागर ने वाल्मीकि रामायण में बताई गई घटनाओं की तिथियों एवं ग्रह नक्षत्रों की स्थिति (खगोलीय) आदि की जानकारी नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एण्ड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, अमेरिका) के प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेअर में डालीं या फीड कीं। दिल्ली स्थित वेद पर आधारित इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक रिसर्च की निर्देशक रहीं तीन दशकों से रामायण पर कार्यरत आयकर विभाग की प्रमुख श्रीमती सरोजबाला ने भी अमरीका से कोई सॉफ्टवेअर खरीदकर उसमें रामायण में वर्णित जानकारी विस्तार से डाली। दोनों सॉफ्टवेअर में डाली गयी जानकारियों के परिणाम प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर काफी अधिक मिलते-जुलते पाए गए। वाल्मीकि रामायण के बालकांड में बताया गया है कि भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्लपक्ष की तिथि नवमी को पुर्नवसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में हुआ था।
इस समय शनि, मंगल, सूर्य, गुरू एवं शुक्र अपने उच्च स्थान पर थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ बृहस्पति विराजमान थे। उक्त जानकारी के आधार पर सॉफ्टवेअर ने बताया कि भगवान राम का जन्म 10 जनवरी, 5114 ईसा पूर्व को दोपहर 12 से 01 के मध्य अयोध्या में हुआ था। भारतीय कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुल्क पक्ष के नौवें दिन रामनवमी मनाई जाती है। इस प्रकार भगवान राम के जीवन की अन्य घटनाओं के संबंध में जो जानकारी सॉफ्टवेअर ने बताईं, वे इस प्रकार हैं : वनवास 25 वर्ष की आयु में 05 जनवरी 5089 ईसा पूर्व को प्रात:काल हुआ था। ताडक़ा वध (विश्वामित्र के यज्ञ में बाधा डाल रही ताडक़ा का वध) 5101 ईसा पूर्व 13 वर्ष (5114-5101, 13 वर्ष) की अवस्था में किया, खरदूषण वध 07 अक्टूबर को दोपहर दो बजे के आसपास 5077 ईसापूर्व तथा रावण का वध 04 दिसंबर 5078 ईसापूर्व किया गया। वनवास समाप्ति पर राज्याभिषेक, 39 वर्ष (5114-5075, 39 वर्ष) की आयु में 02 जनवरी 5075 ईसापूर्व को हुआ था। इस अध्ययन में वनवास की 14 वर्ष की अवधि (5089-5075, 14 वर्ष) तो सही है, परंतु रावण वध (5078) तथा राज्याभिषेक (5075) में 03 वर्षों का अंतर क्यों है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। दिल्ली में सितंबर 2015 में ‘कल्चरल कांटीन्युटी फ्राम ऋग्वेद टू रोबोटिक’ शीर्षक से आयोजित सम्मेलन में भगवान राम के जीवन से जुड़ी सारी घटनाओं की सॉफ्टवेअर से प्राप्त जानकारी लोगों को बताई गई थी। घटनाओं का सत्यापन आधुनिक तकनीकों से हो। -(सप्रेस)
डा. ओपी जोशी
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal