दुनियाभर में वन्यजीवों की आबादी में भारी कमी आई है। स्तनधारी, पक्षियों, सरीसर्प, उभयचर और मछलियों की आबादी में 48 साल में औसतन 69 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। ताजे पानी में रहने वाले जानवरों की आबादी में सबसे ज्यादा 83 फीसदी गिरावट हुई है। इसी तरह शार्क की आबादी में औसतन 71 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसकी वजह 1970 के बाद बढ़ी फिशिंग है। जिसमें 18 गुना का इजाफा हुआ। ये सभी बातें बुधवार को आई लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट में बताई गई हैं।
आखिर ये लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट क्या है? इस बार की रिपोर्ट में क्या बताया गया है? क्या विश्व के अलग-अलग हिस्सों में वन्यजीवों की आबादी में गिरावट अलग-अलग है? इस रिपोर्ट के क्या मायने हैं लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट क्या है?
LPR यानी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट हर दो साल पर जारी की जाती है। इस रिपोर्ट को दो संस्थाएं वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर (WWF) और जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन मिलकर प्रकाशित करती हैं। इस रिपोर्ट के जरिए यह बताने की कोशिश होती है कि दुनियभर में अलग-अलग जीव-जंतुओं की आबादी कैसे बढ़-घट रही है। इसका हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या असर पड़ सकता है इसका भी संकेत रिपोर्ट में दिया जाता है।
इस बार की रिपोर्ट में क्या है?
दुनियाभर के 89 लेखकों द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1970 के मुकाबले 2018 में जीव-जंतुओं (स्तनधारी, पक्षियों, सरीसर्प, उभयचर और मछलियों) की आबादी में औसतन 69 प्रतिशत की गिरावट आई है। यानी, महज 48 साल के भीतर वन्यजीवों की आबादी में दो तिहाई से ज्यादा की कमी हुई है। साल के अंत में दुनिया के कई देश मॉन्ट्रियल में जैव विविधता की रक्षा के लिए एक नई वैश्विक योजना तैयार करने के लिए मिलने वाले हैं। उससे पहले आई यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है।